लेह-लद्दाख में भारतीय सेना ने प्रदूषण के खिलाफ छेड़ी नई जंग, ऐसे कर रहे है पर्यावरण सुरक्षा के उपाय, आप भी पढ़े

नई दिल्ली। लेह, लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर के माइनस 40 डिग्री तापमान में देश की रक्षा में जुटे भारतीय सेना प्रदूषण के खिलाफ भी नई जंग छेड़ दी है। सियाचिन ग्लेशियर को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सेना ने अपने राशन और खाने पीने के अन्य सामानों के लिए प्लास्टिक बैग और टेट्रा पैक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। सेना ने प्लास्टिक बैग और ट्रेटा पैक की जगह अब राशन व अन्य समानों की पैकिंग के लिए जूट के मजबूत बैग का इस्तेमाल शुरू किया है।

रक्षा मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में रिपोर्ट पेश करते हुए यह जानकारी दी है। NGT प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने मंत्रालय से ग्लेशियर और सैन्य कैंपों और कॉलोनियों में ठोस कचरा प्रबंधन और सैन्य कचरा प्रबंधन के बारे में विस्तृत जवाब मांगा था। पीठ ने एयरचीफ मार्शल अनिल की याचिका पर यह आदेश दिया है। रक्षा मंत्रालय ने ट्रिब्यूनल में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेना ने सियाचिन और अन्य जगहों पर प्लास्टिक बैग की जगह पर जूट के बैग का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

साथ ही है कहा है कि ट्रेटा पैक और रिफिल वाले छोटे-छोटे पैक के इस्तेमाल को भी कम कर दिया है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि सेना ने धातु वाले बैरल और जरकन का इस्तेमाल को बंद कर एचडीपीई यानी उच्च घनत्व वाली पॉलीथीन का बैरल और जरकन का उपयोग शुरू किया है। मंत्रालय ने कहा है कि सेना ने ठोस कचरा प्रबंधन के लिए टास्क फोर्स का भी गठन किया है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ग्लेशियर में माइनस 40 डिग्री तापमान में मानव मल-मूत्र को एक जगह जमा करना और उचित निपटान करना बहुत बड़ा चुनौती है। ऐसे में पर्यावरण हितों के अनुकूल मानव मल के उचित निपटारे के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नई तकनीक वाली बायो-डाइजेस्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह तकनीक 60 जगहों पर लगाई गई है। बायो-डाइजेस्टर का अविष्कार रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (DRDO) ग्वालियर ने किया है।

रक्षा मंत्रालय ने NGT को बताया है कि सेना ने ठोक कचरे को अलग-अगल छांटने का काम करती है। साथ ही कहा कि ग्लेशियर से अब कूड़े को नीचे लाने और उचित निपटारे के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि सैनिकों के लिए राशन व अन्य सामान ग्लेशियर में चौकी पर देने के बाद लौटते वक्त खाली हेलीकॉप्टर में ठोस कचरा को भी भेजा जाएगा।

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