होलाष्टक2021: 22 मार्च से लगेगा होलाष्टक पर सात दिन होंगे शुभ काम

धर्म डेस्क। जब विष्णु भक्त प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप के कहने के बाद भी भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी तो हिरण्यकश्यप ने विष्णु भक्त प्रह्लाद को तरह-तरह की यातनाएं दी। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक तरह-तरह की यातनाओं के द्वारा प्रह्लाद को डराया गया, किंतु दृढ़ प्रतिज्ञ प्रहलाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप कश्यप ने तरह-तरह की यातनाएं दी थी। इस कारण इन आठ दिनों में किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित कर दिया गया।

इस पौराणिक आख्यान के साथ साथ होली के आसपास मौसम में परिवर्तन होता है और हर मनुष्य के अंदर थोड़ा-थोड़ा आलस्य या प्रमाद की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए इन दिनों में किए गए शुभ कार्य फलीभूत नहीं होते हैं। कोई भी शुभ कार्य या पूजा पाठ करने के लिए शरीर का ऊर्जावान होना बहुत आवश्यक है। यदि शरीर में आलस्य या प्रमाद बढ़ जाएगा तो विविध प्रकार की पूजा एवं अनुष्ठान अपना पूर्ण फल नहीं देंगे। यही कारण है कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक में 16 संस्कारों से संबंधित कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है।

धार्मिक आयोजन, नैमित्तिक पूजा-पाठ और जाप भी इन दिनों वर्जित होते हैं। हाालंकि इन दिनों दान, पुण्य एवं गरीबों के सेवा एवं असहाय लोगों को भोजन कराना बहुत शुभ माना गया है। इस बार 22 मार्च से 28 मार्च तक होलाष्टक रहेंगे। यद्यपि होलाष्टक 8 दिन का होता हैं, किंतु इस बार त्रयोदशी तिथि का क्षय हो रहा है अर्थात त्रयोदशी तिथि घट रही है। इसलिए होलाष्टक सात दिन का होगा।

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