कोविड-19 : स्वदेशी कोरोना कोवैक्सीन ने पार किया एक और पड़ाव, DCGI ने दी तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी, दिवाली के बाद स्वदेशी टीके पर होगा परीक्षण

हैदराबाद। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भारत बायोटेक को वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी दे दी है। भारत बायोटेक उन दो कैंडिडेट में से एक है जो स्वदेशी हैं। भारत बायोटेक ने पहले और दूसरे फेस के ट्रायल के डाटा के साथ एनिमल चैलेंज डेटा पेश किया। सारा डेटा देखकर हुई चर्चा के बाद मंजूरी दी गई है। ट्रायल का तीसरा चरण अगले महीने शुरू होने की संभावना है। भारत बायोटेक के तीसरे चरण के ट्रायल को को मंजूरी दी और प्रोटोकॉल में “मामूली संशोधन” का सुझाव दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद स्थित टीका निर्माता ने दो अक्टूबर को DCGI को आवेदन देकर अपने टीके के तीसरे चरण के लिए परीक्षण की अनुमति मांगी थी। भारत में 28,500 लोगों के ट्रायल के लिए शामिल किया जाएगा। ट्रायल में शामिल होने वाले लोगों को को 28 दिनों के अंतराल में प्रायोगिक वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी।यह परीक्षण 10 राज्यों के 19 स्थानों पर किया जाएगा। इन स्थानों में दिल्ली, मुंबई, पटना और लखनऊ शामिल हैं। हैदराबाद स्थित टीका निर्माता ने दो अक्टूबर को DCGI को आवेदन देकर अपने टीके के तीसरे चरण के लिए परीक्षण की अनुमति मांगी थी।

PGI रोहतक में प्रमुख जांचकर्ता सविता वर्मा ने बताया कि कुछ में मामूली प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं थीं, लेकिन कुल मिलाकर शुरूआती रिजल्ट से पता चला कि कोवाक्सिन सुरक्षित है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति (SECS) ने 5 अक्टूबर को कंपनी के आवेदन पर विचार-विमर्श किया। समिति ने लंबे विचार-विमर्श के बाद कहा था कि तीसरे चरण के रिसर्च का डिजाइन सिद्धांत रूप में संतोषजनक है, सिवाय बिना लक्षण वाले की परिभाषा पर स्पष्टीकरण आदि के समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि दूसरे चरण के ट्रायल के सिक्योरिटी और प्रतिरक्षा संबंधी आंकड़ों के आधार पर पहचानी गई उचित खुराक के साथ रिसर्च शुरू किया जाना चाहिए। इस प्रकार कंपनी को ऐसे संबंधित आंकड़े पेश करने चाहिए।

इस बीच, दिवाली के बाद स्वदेशी कंपनी भारत बायोटेक कोरोना वायरस के टीके पर तीसरा परीक्षण शुरू कर सकती है। इस परीक्षण में करीब 40 हजार से अधिक लोगों को टीकाकरण किया जाएगा। सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद ही इसे बाजार में लाया जाएगा। हालांकि बाजार में आने के बाद भी इस टीके पर परीक्षण चलता रहेगा। सूत्रों का कहना है कि यह परिणाम स्वास्थ्य मंत्रालय से भी साझा किए गए हैं। सब कुछ ठीक होने के चलते ही सरकार ने टीकाकरण को लेकर तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। अभी इसका पहला और दूसरे चरण का परीक्षण देश के 12 अस्पतालों में चल रहा है। दूसरे चरण के तहत लोगों को दूसरी डोज दी जा चुकी है।

वैज्ञानिक एवं अनुसंधान औद्योगिक परिषद (CSIR) के तहत काम करने वाला सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान केंद्र (Ccmb) कोविड-19 टीके के लिए ‘प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट’ विकसित कर रहा है। यह अरविंदो फार्मा के साथ हुए करार का हिस्सा है। ‘प्रू्फ ऑफ कॉन्सेप्ट’ में यह पता लगाया जाता है कि किसी अवधारणा को हकीकत में बदला जा सकता है या नहीं और उसकी अवधारणा की व्यावहारिकता कितनी है।

सीसीएमबी के निदेशक राकेश के. मिश्रा ने कहा संस्थान तीन मंचों का प्रयोग करते हुए टीके के लिए समाधान अवधारणा को तैयार करने की प्रक्रिया में है। इसमें चार से पांच माह का वक्त लगेगा। मिश्रा ने कहा, ‘‘ हम टीके लिए कुछ नए मंचों पर काम कर रहे हैं और एक बार हम इसे तैयार कर लेंगे तब हम इसे आगे की प्रक्रिया के लिए अरविंदो फार्मा को सौंप देंगे। इस पर हमने उनसे चर्चा की थी।

हम तब तक कोई टीका विकास नहीं करना चाहते थे जब तक कोई औद्योगिक सहभागी ना मिल जाए।” CSIR और अरविंदो फार्मा ने पिछले ही महीने सार्स-कोव-2 वायरस के खिलाफ टीका विकसित करने के लिए साथ आने की घोषणा की थी। सीएसआईआर की सीसीएमबी-हैदराबाद, सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (IMTech)-चंडीगढ़ और भारतीय रासायनिक जीव विज्ञान संस्थान (IICB)-कोलकाता प्रयोगशालाएं अलग-अलग प्रौद्योगिकी मंचों पर टीके विकसित कर रही हैं।

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