अब मशीनों से होगी सीवर की सफाई, नहीं जाएगी सफाईकर्मियों की जान, मोदी सरकार ने लॉन्च किया ‘सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज’
न्यूज़ डेस्क। केंद्र सरकार ने सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वालों के लिए ऐतिहासिक ऐलान किया है। इस ऐलान के मुताबिक़ मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट में संशोधन किया जाएगा जिससे सीवर्स और सेप्टिक टैंक की मशीनों के माध्यम से सफाई संभव हो। इस ऐलान के साथ एक और अहम बात यह है कि मैनहोल शब्द को मशीन होल से स्थानांतरित किया जाएगा। इस पहल को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए 24×7 हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ केंद्र की मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगस्त 2021 तक इंसानों द्वारा की जाने वाली सीवर की सफाई (मैनुअल स्कैवेंजिंग) ख़त्म कर दी जाए। गुरुवार (19 नवंबर 2020) को इस पहल की घोषणा करते हुए एक ‘चैलेंज’ के बारे में जानकारी भी दी। यह चैलेंज मूलतः देश के सभी राज्यों के लिए है, जिसके तहत अप्रैल 2021 तक 243 शहरों को सीवर सफाई प्रक्रिया पूर्णतः मशीन संचालित करनी होगी।
अगर किसी इंसान को बड़ी समस्या पैदा होने की सूरत में सीवर के भीतर दाखिल होना पड़ता है तो उसे सही गियर (उपकरण) और ऑक्सीजन सिलेंडर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना होगा। इस चैलेंज का नाम है ‘सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज’।
डीडी न्यूज़ के ख़ास कार्यक्रम 'आत्मनिर्भर भारत' में आज की चर्चा का विषय
– विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज की शुरूआत#AtmanirbharBharat #WorldToiletDay
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— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) November 20, 2020
इस चैलेंज के अंतर्गत तमाम श्रेणियों में कुल 52 करोड़ रुपए के पुरस्कार भी दिए जाएँगे। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of housing & urban affairs) सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने इस संबंध में कई अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस चैलेंज में हिस्सा लेने वाले शहरों का ज़मीनी विश्लेषण स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा मई 2021 में कराया जाएगा। इसका परिणाम 15 अगस्त 2021 तक सार्वजनिक किया जाएगा।”
केंद्रीय मंत्री @HardeepSPuri ने 243 शहरों में सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज शुरू किया
सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई को रोकने की चुनौती
विवरण: https://t.co/jl8YXsYoj1
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) November 19, 2020
आधिकारिक आँकड़ों की मानें तो मैनुअल स्कैवेंजिंग की वजह से पिछले 5 सालों में कुल 376 मौतें हुई हैं जिसमें सिर्फ 2019 के दौरान 110 मौतें हुई हैं। इसके बाद मंत्रालय के सचिव ने यह भी कहा कि हमने निर्देश जारी किया है कि अब से मैनहोल शब्द का इस्तेमाल बंद कर दिया जाए और इसके स्थान पर मशीन होल शब्द का इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने वालों और निर्धारित आदेशों की अनदेखी करने वालों की शिकायत दर्ज कराने के लिए हेल्पलाइन भी बनाई जा रही है।
19.11.2020 को 02 टीम बना कर घाटों का निरीक्षण किया गया एवम साफ-सफाई, प्रकाश की व्यवस्था पूर्ण की गई, उपायुक्त देवघर के द्वारा घाटों का निरीक्षण किया गया । आज सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज एवं विश्व टॉयलेट डे भी मनाया गया । pic.twitter.com/FgHur6IWXC
— Municipal Commissioner, Deoghar (@MCDeoghar) November 19, 2020
उल्लेखनीय है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के अनुसार किसी भी व्यक्ति से सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई करवाना दंडनीय कृत्य है। इसके लिए जुर्माना और कारावास तक का प्रावधान है। इस क़ानून में किए जा रहे संशोधन के अनुसार सीवर की सफाई करने वालों की पहचान की गई जाएगी और उनको बेहतर सुविधाएँ दी जाएँगी। अभी तक मशीन से की जाने वाली सफाई को वैकल्पिक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता था लेकिन अब से मशीन द्वारा की जाने वाली सफाई को आगामी कुछ समय के भीतर अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा।
विश्व शौचालय दिवस पर माननीय केंद्रीय शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी जी ने एक वेबिनार के दौरान सभी राज्यों को 'सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज' दिया जिसे उत्तर प्रदेश के शहरों का प्रतिनिधित्व करते हुए उनकी ओर से स्वच्छ भारत मिशन के मिशन डायरेक्टर अनुराग यादव द्वारा स्वीकार किया गया। pic.twitter.com/iTJcyZ6Xla
— नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश (@nagarvikasup) November 19, 2020
इस मशीन से होने वाली सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के मामले में हैदराबाद नगरपालिका समेत देश के कई शहरों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा किए गए विश्लेषण के मुताबिक़ मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोसिटिज़ एक्ट 1989 की मौजूदगी के बावजूद ऐसे मामलों में कार्रवाई लगभग नहीं के बराबर होती है। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान भी नहीं किया जाता है।