तबलीगी जमात ने जो नुकसान पहुँचाया, वह आंखें खोल देने वाली घटना के रूप में देखा जा सकता है : उपराष्ट्रपति नायडू

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि लॉकडाउन का आखिरी सप्ताह उससे बाहर निकलने की रणनीति तय करने की दृष्टि से बड़ा अहम है क्योंकि कोरोना वायरस के फैलने के संबंध में प्राप्त आंकड़ों का सरकार द्वारा लिये जाने वाले निर्णय पर असर होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि आखिरकार सरकार जो भी निर्णय ले, उसका वे पालन करें और ‘यदि उसका तात्पर्य 14 अप्रैल के बाद भी कुछ हद तक कठिनाइयां जारी रहना हो, तो भी वे उसी जज्बे के साथ सहयोग करें जो अब तक नजर आया है।

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को घोषित किया था और वह उसके अगले दिन प्रभाव में आ गया था। नायडू ने यहां जारी एक बयान में कहा, ”25 मार्च के बाद से आज इस लॉकडाउन का दूसरा सप्ताह पूरा हो गया, ऐसे में मैंने कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न संकट से उबरने के लिए वर्तमान प्रयासों के बीच लोगों और इस देश के नेतृत्व के पास अपनी राय एवं अपनी चिंता रखना उपयुक्त समझा।’’

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि जनता के स्वास्थ्य हित एवं अर्थव्यवस्था के स्थिर होने के बीच की बहस में वाकई जनस्वास्थ्य अर्थव्यवस्था (के स्थिरीकरण) से ऊपर है। उन्होंने कहा, ”मेरे विचार से अर्थव्यवस्था की चिंताएं एक और दिन इंतजार कर सकती हैं, स्वास्थ्य नहीं।’’ लॉकडाउन खत्म करने के संबंध में सरकार द्वारा बनायी जा रही योजना के संदर्भ में नायडू ने कहा, ‘‘लॉकडाउन का अगला एक सप्ताह उससे बाहर निकलने की रणनीति तय करने की दृष्टि से बड़ा अहम है क्योंकि कोरोना वायरस के फैलने के संबंध में प्राप्त आंकड़ों और अगले सप्ताह के दौरान उस की दर का सरकार द्वारा लिये जाने वाले निर्णय पर असर होगा।’’

उन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रम का हवाला देते हुए कहा, ”इस कार्यक्रम में सहभागिता की सीमा और उसके गुणनकारी प्रभाव ने हमारी उम्मीदों को बिगाड़ दिया है।’’ उन्होंने कहा कि इसे टाला जा सकता था। इससे यह बात सामने आ गयी कि सामाजिक मेल-जोल से परहेज के नियमों का उल्लंघन करने की थोड़ी भी चूक का क्या दुष्परिणाम हो सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा, ”इस दृष्टि से इस टाले जाने योग्य भटकाव को सभी के लिए आंख खोल देने वाली घटना के रूप में देखा जा सकता है।”

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