बैठक के बाद बोले कृषिमंत्री तोमर- यूनियनों की सोच में किसान हित नहीं, कुछ ताकतें आंदोलन खत्म करना नहीं चाहतीं

नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध पर किसानों और सरकार के बीच आज (22 जनवरी) की बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई है। बैठक के बाद केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बातचीत एक बार फिर बेनतीजा रही है। किसान यूनियनों की सोच में किसानों का कल्याण नहीं है, इसीलिए हल नहीं निकल रहा है। भारत सरकार की कोशिश थी कि वो सही रास्ते पर विचार करें वार्ता की गई लेकिन यूनियनें कानून वापसी पर अड़ी रहीं। सरकार ने एक के बाद एक प्रस्ताव दिए लेकिन वो नहीं माने। जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता, यही हो रहा है।

नरेंद्र तोमर ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा, आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिश हुई कि जनता के बीच और किसानों के बीच गलतफहमियां फैलें। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग जो हर अच्छे काम का विरोध करने के आदि हो चुके हैं, वे किसानों के कंधे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें। विशेष रूप से पंजाब के किसान और कुछ राज्यों के किसान कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन जब आंदोलन की शुचिता खो जाती है तो कोई समाधान संभव नहीं होता।” तोमर ने आगे कहा कि कुछ ताकतें हैं कि जो चाहती हैं कि आंदोलन जारी रहे और कोई भी नतीजा न निकले।

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, हमने किसान यूनियन को कहा कि जो प्रस्ताव आपको दिया है कि एक से डेढ़ साल तक कानून को स्थगित करके समिति बनाकर आंदोलन में उठाए गए मुद्दों पर विचार करने का प्रस्ताव बेहतर है, उस पर फिर से विचार करें। किसान अगर निर्णय पर पहुंच सकते हैं तो हमें बताइए। कल हम फिर से बात करेंगे।

इससे पहले 20 जनवरी को हुई बैठक में कृषिमंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान नेताओं के सामने प्रस्ताव रखा था कि कानूनों के अमल पर हम डेढ़ साल के लिए रोक लगा देंगे। इसके बाद एक कमेटी बनाई जाए। जिसमें किसान और सरकार दोनों से सदस्य हों। ये समिति कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करे और कानूनों को लेकर फैसला ले। कृषिमंत्री के प्रस्ताव पर किसानों ने आपस में बात करने के बाद आज (शुक्रवार) जवाब देने की बात कही थी। किसानों ने गुरुवार को आपस में बैठक के बाद सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। जिसकी जानकारी आज बैठक में सरकार को दे दी गई और इसके बाद बैठक बिना नतीजे खत्म हो गई।

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