एकांकी नाटक के जरिए युवाओं ने दिया सामाजिक बुराईयों के खिलाफ संदेश

रायपुर। प्रदेश के युवाओं ने एकांकी नाटक के जरिए खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण के साथ ही सामाजिक बुराईयों के खिलाफ जनजागरूकता का संदेश दिया। युवाओं ने शिक्षित और संगठित होकर देश और समाज हित में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरक संदेश दिया। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में युवा कलाकारों द्वारा एकांकी नाटक का बेहतरीन प्रस्तुति दी गई।

नारायणपुर जिले से आए दिगेश्वर नेताम और उसके साथियों ने नक्सलियों द्वारा आदिवासियों को डराने धमकाने तथा उनके बच्चों को नक्सली बनाने के प्रयासों के खिलाफ संदेश दिया गया। शिक्षा और विकास कार्यो के जरिए नक्सलियों को विकास की मुख्य धारा में जोड़ने का मंचन किया गया। बलरामपुर जिले की आरती एवं उसके साथियों ने बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओ विषय पर शानदार नाटक प्रस्तुत किया। उन्होंने बेटा-बेटी को समान हक देने, बेटियों को बोझ नही समझने, कन्या भू्रण हत्या रोकने पर जन जागरूकता के तहत बताया कि बेटियां दुर्गा की नव रूप होती है, बेटियां ही सृष्टि का निर्माण करती है। बेटा-बेटी एक ही सिक्के के दो पहलू है, यदि बेटा भाग्य है तो बेटियां भाग्यविधाता है। बीजापुर के कलाकरों ने प्लास्टिक के उपयोग से होने वाली घातक बिमारियों और उसके दुषप्रभाव के बारे में नाटक के जरिए संदेश दिया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक किया।

बलौदाबाजार जिले से आए कौशिक पुरी त्रिपाठी एवं उनके साथियों द्वारा राजा विक्रमादित्य के राज्य में घातक बिमारियां फैलने तथा उनकी राजकुमारी द्वारा नगर भ्रमण कर बीमारी का पता लगाने और उसके बचाव के लिए किए गए कार्यो पर एकांकी प्रस्तुत कर डेंगू-मलेरिया के लक्षण तथा उसके बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया। इसी तरह बिलासपुर, दुर्ग एवं कांकेर जिले के युवाओं ने महिलाओं के सम्मान और स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर घर में शौचालय निर्माण सहित अनेक सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर नाटक प्रस्तुत कर लोगों को जागरूक किया।

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