UP की तर्ज पर अब MP में भी लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश, शिवराज कैबिनेट ने दी मंजूरी, जानें सजा का क्या है प्रावधान
भोपाल। उत्तर प्रदेश की तरह ही अब मध्य प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून होगा। मध्य प्रदेश की भाजपा नीत शिवराज सरकार ने ‘लव जिहाद’ के खिलाफ उत्तर प्रदेश की तर्ज पर सख्त कानून बनाने के लिए मंगलवार को अब ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश के जरिए शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
महिलाओं, बेटियों विशेषकर नाबालिग बेटियों, अनुसूचित जाति/जनजाति बहनों-भाईयों का नियम विरूद्ध धर्मपरिवर्तन किये जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया है। ये प्रावधान न्यूनतम 2 वर्ष से लेकर अधिकतम 10 वर्ष तक है। 50 हजार रुपये तक के अर्थदंड का प्रावधान भी है: सीएम श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/7czyERp77V
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) December 29, 2020
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार रात को संवाददाताओं को बताया था, ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 समेत जितने भी विधेयक विधानसभा सत्र स्थगित होने के कारण हम सदन में नहीं ला पाए, कल मंगलवार (आज) को मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में अध्यादेश के माध्यम से उन्हें लागू करेंगे।’ उन्होंने कहा, ”मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो जायेंगे।’
जिस व्यक्ति का धर्म अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध धर्म परिवर्तन किया गया है उसके माता-पिता, भाई-बहन, संरक्षक इसकी शिकायत थानों में कर सकेंगे। प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किये गये अपराध संज्ञेय व गैर जमानती होंगे। इसकी सुनवाई के लिये सत्र न्यायालय ही अधिकृत होंगे।
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गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल ने कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून बनाने के लिए 26 दिसंबर को ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020’ को मंजूरी दी थी। इस विधेयक में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद एवं एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक को 28 दिसंबर से शुरू होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में पेश किया कर पारित करवाना था, लेकिन कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के चलते इस सत्र को रविवार को स्थगित कर दिया गया है। इसलिए अब सरकार अध्यादेश ला रही है। यह अध्यादेश कुछ मायनों में पिछले महीने उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार द्वारा अधिसूचित ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के समान है, क्योंकि उसमें भी जबरन धर्मांतरण करवाने वाले के लिए अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है।
इस अध्यादेश के आने के बाद कोई भी व्यक्ति दूसरे को प्रलोभन, धमकी एवं बलपूर्वक विवाह के नाम पर अथवा अन्य कपटपूर्ण तरीके से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष से उसका धर्म परिवर्तन अथवा धर्म परिवर्तन का प्रयास नहीं कर सकेगा। इसके बाद कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन का षड्यंत्र नहीं कर सकेगा।

