अब मात्र 2 घंटे में हो जाएगी ओमिक्रॉन की पहचान, ICMR ने तैयार की है खास किट

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इससे निपटने के उपाय पर भी तेजी से काम हो रहा है। अब ओमिक्रॉन के खिलाफ चल रही जंग में भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने असम के डिब्रूगढ़ में एक नई कोविड टेस्ट किट (New Covid Testin Kit) तैयार की है। इस किट से महज दो घंटे में ही ओमिक्रॉन संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। ओमिक्रॉन से चल रही आशंकाओं के बीच देश के कई राज्यों में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ गये हैं, लेकिन अब जांच में तेजी आ जाएगी जिसके लिए यह किट काफी अहम साबित होगी।

गौरतलब है कि भारत में दिसंबर के पहले सप्ताह में ही ओमिक्रॉन ने दस्तक दे दी थी और अब कोरोना के इस नए वैरिएंट के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में कुल मिलाकर अबतक 33 मामले सामने आ चुके हैं और अभी तक इसकी जांच के लिए जो किट बाजार में उपलब्ध है उस किट से ओमिक्रॉन संक्रमण का पता लगाने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है।

अब ओमिक्रॉन जल्दी से आ जाएगा पकड़ में, क्योंकि आईसीएमआर के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने रियल टाइम में ओमिक्रॉन की पहचान करने वाली किट बनाने में सफलता हासिल कर ली है. परिषद् के वैज्ञानिक डॉ. बिस्वज्योति बोर्काकोटी ने इस किट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह अपने आपमें बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि- ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने में अभी कम से कम 36 घंटे लग जाते हैं, तो वहीं पूरी जीनोम सीक्वेंसिंग होने में चार से पांच दिन का समय लगता है। ऐसे में इस किट के आ जाने से काफी आसानी होगी और जांच का रिजल्ट जल्द मिल जाएगा।

समाचार एजेंसी के मुताबिक कोलकाता की कंपनी जीसीसी बायोटेक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में इस किट को तैयार कर रही है। डॉ. बोर्काकोटी ने बताया कि इस किट को खासतौर पर कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के सिंथेटिक जीन फ्रैकमेंट्स पर टेस्ट किया गया है। साथ ही इसे दो बेहद खास क्षेत्रों के स्पाइक प्रोटीन और सिंथेटिक जीन फ्रेगमेंट्स के साथ भी जांचा गया है।

उन्होंने बताया कि इसके नतीजे 100 फीसदी तक सही आंके गए हैं। ज्ञात हो कि पिछले साल जुलाई में डॉक्टर बोर्काकोटी के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोना वायरस को आइसोलेट करने में सफलता पाई थी।

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