‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ में प्रदेश के युवाओं और महिलाओं की होगी महत्वपूर्ण भूमिका : मुख्यमंत्री

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गौठानों द्वारा खुद की जमा पूंजी से गोबर खरीदना गोधन न्याय योजना की बड़ी सफलता है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के आधे से अधिक गौठान स्वयं के संसाधनों से गोबर की खरीदी कर रहे हैं। राज्य शासन को इन गौठानों को गोबर खरीदने के लिए राशि देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में हितग्राहियों को 376 करोड़ 50 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है।
योजनांतर्गत कोरिया जिले में विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के मझगंवा गौठान की प्रगति महिला स्व सहायता समूह की 03 महिलाएं बाड़ी का कार्य कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ कर रहीं हैं। साथ ही अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहीं हैं।

समूह की अध्यक्ष शमशुन निशा बताती हैं कि समूह के गठन से वे गौठान में विभिन्न गतिविधियों से जुड़कर कार्य कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में समूह में 10 सदस्य हैं, जिनमें से 03 महिला सदस्यों के द्वारा बाड़ी विकास का कार्य किया जा रहा है। समूह की सचिव अंजुलता ने बताया कि हम पहले ही घरों में छोटे स्तर पर आवश्यकतानुसार सब्जियां लगाते थे, और जब गौठान में बड़े पैमाने पर समूह की महिलाओं के साथ मिलकर काम करने का मौका मिला तो पहले की प्रैक्टिस से ये काम और आसान हो गया।

उन्होंने बताया कि विगत 5 महीनों से हम बाड़ी विकास का कार्य कर रहें हैं। 25 हजार की लागत से बाड़ी विकास का काम शुरू किया। वर्तमान में यहां मटर, बैगन, मूली, आलू तथा भाजी लगाए गए हैं। जिसका विक्रय कर महिलाओं को 45 हजार रुपये तक का शुद्ध लाभ हुआ है और लगातार मुनाफा बढ़ रहा है। स्थानीय बाज़ारों में ही सब्जियों की खपत हो जाती है। महिलाएं कहती हैं कि जब से हम यह कार्य कर रहीं हैं अच्छी आमदनी से आर्थिक रूप से सशक्त होकर घर-परिवार की ज़रूरतों को पूरा कर पा रहीं हैं।

नरवा गरूआ घुरूवा बाड़ी योजना विकास योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में अद्यतन 98690 बाड़ियां विकसित कर ली गई हैं। प्रदेश में निर्मित 8408 गौठानों में 39090 हितग्राहियों के साथ 4429 सामुदायिक बाडियां संचालित हैं ।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी और गोधन न्याय योजना आमजनों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है। ग्रामीण परिवेश में निवासरत लोगों के लिए यह योजना आर्थिक उन्नति का माध्यम बनकर उभरी है। योजनांतर्गत जिले के गौठानों में स्वसहायता समूह की महिलाएं सब्जी उत्पादन सहित विभिन्न आजीविका गतिविधियों से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।

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