डीएम को अगर सफाई करनी है तो बन जाएं सफाई कर्मी दिखावा और फोटोशूट बंद करें कलेक्टर – हाईकोर्ट

बिलासपुर। 

हाईकोर्ट में अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही अवैध उत्खनन रोकने की मांग को लेकर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने नदी की बदहाली पर कड़ी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने अवैध उत्खनन और परिवहन रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर असंतोष जाहिर किया।

उन्होंने कहा कि फावड़ा लेकर कलेक्टर नदी की सफाई कर रहे हैं। यह केवल दिखावा है। उन्होंने कहा कि डीएम का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं, बल्कि प्रभावी नीति बनाकर अवैध उत्खनन को रोकना है। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, अगर डीएम को सफाई करनी है, तो वे कलेक्ट्रेट छोड़ दें और सफाई कर्मचारी बन जाएं। यह डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का काम नहीं है। कलेक्टर को अपनी ड्यूटी ऑफिस में बैठकर करनी चाहिए। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।

इस मामले में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई है, जिसकी सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन. भारत ने बताया कि खनिज विभाग के सचिव का शपथ पत्र पेश किया गया है। राज्य सरकार ने अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण रोकने के लिए छह सदस्यीय समिति बनाई है। इसमें खनिज विभाग के उपसंचालक और खनिज अधिकारी शामिल हैं। समिति को 30 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट के आधार पर खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में बदलाव की प्रक्रिया विधि विभाग को भेजी जाएगी। डिवीजन बेंच ने नदी के पुनर्जीवन को लेकर बिलासपुर कलेक्टर के प्रयासों पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा कि कलेक्टर नदी की सफाई कर रहे हैं या फोटो खिंचाने के लिए दिखावा कर रहे हैं? कोर्ट ने टिप्पणी की कि कलेक्टर जिले के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उन्हें सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

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