कृषि साख समितियों से बढ़ेगी किसानों की आमदनी: राजवाड़े

रायपुर ।

महिला एवं बाल विकास मंत्री  लक्ष्मी राजवाड़े के सतत प्रयासों से सूरजपुर जिले के कृषकों को बड़ी सौगात मिलने जा रही है। जिले में प्राथमिक   कृषि साख सहकारी समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। शासन द्वारा स्वीकृत योजना के अंतर्गत खोपा, करौटी-बी, केशवनगर, सिरसी एवं सावारावा में 5 नवीन समितियों का गठन किया जा रहा है। इस पहल से लगभग 4650 कृषकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।

नवगठित समितियों के माध्यम से किसानों को अब खाद-बीज, कृषि ऋण एवं धान विक्रय जैसी आवश्यक सेवाएं अपने ही गांव अथवा आसपास के क्षेत्र में मिल सकेंगी। इससे उन्हें लंबी दूरी तय करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय, धन और संसाधनों की बचत होगी।

 राजवाड़े ने कहा, यह निर्णय किसानों की वर्षों पुरानी मांग के समाधान की दिशा में एक अहम कदम है। राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा और कृषि व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के पुनर्गठन योजना के अंतर्गत लिया गया है, जिसका प्रकाशन 3 अप्रैल 2025 को छत्तीसगढ़ राजपत्र में किया गया।

कृषि ऋण वितरण में भी सूरजपुर जिला अग्रणी

वर्तमान में जिले में 47 प्राथमिक कृषि साख समितियां कार्यरत हैं। खरीफ 2024-25 के दौरान समितियों के माध्यम से कृषकों को 78.35 करोड़ रुपये नगद और 42.72 करोड़ रुपये मूल्य का वस्तु ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर प्रदान किया गया। इससे 36,304 कृषक लाभान्वित हुए। रबी सीजन में 5,266 कृषकों को ऋण सुविधा दी गई। वर्ष 2025-26 के खरीफ सीजन के पहले दो माह में ही अब तक 13.36 करोड़ रुपये नगद ऋण एवं 9.08 करोड़ रुपये का वस्तु ऋण वितरित किया जा चुका है, जिससे 7,963 कृषकों को लाभ प्राप्त हुआ है।

धान खरीदी में रिकॉर्ड: 59 हजार से अधिक कृषक लाभान्वित

जिले में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वर्ष 2024-25 के खरीफ विपणन सत्र में 47 समितियों एवं 7 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 3 लाख 97 हजार 204 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई। इस प्रक्रिया से 59 हजार 52 कृषकों को सीधा लाभ प्राप्त हुआ है। यह पहल राज्य सरकार की ग्रामीण एवं कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मंत्री  लक्ष्मी राजवाड़े के प्रयासों से सूरजपुर जिले में कृषि सुविधाओं का विस्तार निश्चित रूप से किसानों की समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा।

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