फ्रांस में मस्जिदों की सख्ती से जांच शुरू, आतंक और कट्टरवाद को बढ़ावा देने का संदेह, कुछ बंद भी की जा सकती हैं

पेरिस। फ्रांसीसी अधिकारियों ने उन मस्जिदों का निरीक्षण करना शुरू कर दिया है, जिन पर उन्हें इस्लामिक कट्टरपंथ (Islamic Terrorism), अलगाववाद और चरमपंथ को बढ़ावा देने का संदेह है। गृह मंत्री जेराल्ड डर्मेनिन ने इस बारे में घोषणा करते हुए कहा कि कुछ मस्जिदों को बंद किया जा सकता है अगर उन्हें आतंकवाद या अलगाववाद को बढ़ावा देते पाया गया।

यह कदम फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा अक्टूबर में छह महीने के लिए पेरिस के एक प्रसिद्ध मस्जिद को बंद करने के बाद आया है। हाल ही में फ्रांस में कई आतंकी हमले हुए हैं, जिसके मद्देनजर कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इन घटनाओं में एक चेचन शरणार्थी द्वारा एक शिक्षक सैमुएल पैटी की सिर काटकर हत्या कर देना भी शामिल है। इस मस्जिद, जिसमें लगभग 1,500 उपासक थे, ने पैटी के बारे में एक फेसबुक वीडियो पोस्ट किया था।

पैगंबर मुहम्मद के दो कार्टून

पैटी ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर कक्षा में चर्चा के दौरान पैगंबर मुहम्मद के दो कार्टून दिखाए थे। इसे लेकर मस्जिद ने उनकी आलोचना की थी। पैटी की हत्या के बाद, राष्ट्रपति इमैनुएल मैकों ने कहा कि फ्रांस इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ अस्तित्ववाद की लड़ाई में लगा हुआ है।

पैटी की हत्या के दो हफ्ते बाद, फ्रांस के नीस शहर में एक गिरजाघर के अंदर चाकू से हमला करके तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी।

ज्यादातर लोगों की मौत

डर्मेनिन ने कहा, “आगामी दिनों में, अलगाववाद को बढ़ावा देने के संदेहास्पद धार्मिक स्थलों का निरीक्षण किया जाएगा। जो ऐसा कर रहें होंगे, उन्हें बंद कर दिया जाएगा।” 2015 के शार्ली हेब्दो हत्याकांड के बाद से फ्रांस में नवीनतम इस्लामिक आतंकवादी हमलों के कारण मैक्रों लगातार दबाव में हैं। 2015 से इस्लामिक हिंसा के कारण 240 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हमलों को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार निशाना साध रहा है।

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