फिर बेनतीजा रही सरकार और किसानों की बातचीत, जारी रहेगा आंदोलन, अगली बैठक 8 जनवरी को

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सातवें दौर की वार्ता खत्म हो गई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने मीटिंग के बाद साफ घोषणा की है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी से कम वो मानने को तैयार नहीं है। सरकार के रुख से किसानों के संगठनों ने नाराजगी जाहिर करते हुए अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई कर रहे थे।

हालांकि सरकार के साथ अगली बैठक 8 जनवरी को निर्धारित की गई है। पिछली बातचीत में सरकार बिजली बिल और पराली जलाने के मसले पर किसानों की मांगों को स्वीकार किया था। जबकि MSP और कृषि कानून वापसी पर पहले की तरह ही इस बार भी गतिरोध शुरू से बना रहा।

किसानों के साथ बैठक खत्म करने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मीडिया से मुखातिब हुए। उनके मुताबिक किसान नेताओं के साथ वार्ता सौहार्द्रपूर्ण रही, मंत्री के मुताबिक 8 जनवरी को दोपहर 2 बजे अगली बैठक तय की गई है। तोमर ने दावा किया कि सरकार के मन में किसानों के प्रति सम्मान की भावना है। साथ ही किसान भी सरकार पर भरोसा कर रही है। नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया कि किसानों का आंदोलन अगली बैठक के बाद समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि तमाम कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कई दौर की वार्ता लाजिमी है।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार पूरे देश के किसानों को ध्यान में रखकर ही फैसला करेगी। इसके साथ ही तमाम कानूनी पहलुओं के बारे में भी सरकार गंभीरतापूर्वक ध्यान दे रही है। मंत्री तोमर ने एक बार फिर दावा किया कि मौजूदा कृषि कानूनों को किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही लागू किया गया है। हालांकि उन्होंने जोड़ा कि अगर किसानों को कोई आपत्ति है तो सरकार खुले मन से वार्ता के लिए तैयार है।

वार्ता के बाद किसान नेताओं ने भी कहा कि उन्हें वार्ता के विफल होने पर कोई अफसोस नहीं है। अगली बैठक में किसान नेताओं ने कुछ नतीजों की उम्मीद जाहिर की है। आंदोलन के और आगे बढ़ने के कारण धरना देने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है। दिल्ली और आस पास के इलाकों में ठंड के साथ बिगड़े मौसम में बारिश की मार भी लोगों को झेलनी पड़ रही है। ऐसे में किसानों के लिए खुले में धरना जारी रखना कठिन होगा। फिर भी किसान नेताओं ने साफ कहा कि तमाम मुश्किलों के बावजूद वो धरना स्थल से नहीं हटेंगे।

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