दंगे के डर से अमेरिका की राजधानी में पसरा सन्नाटा, सड़कें खाली, ट्रंप ने समर्थकों को उकसाने के आरोपों को नकारा
वाशिंगटन। 6 जनवरी को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में हुए दंगे का खौफ राजधानी के लोगों में इस कदर है, कि राजधानी की सड़कें बाइडेन के शपथ ग्रहण से एक हफ्ते पहले पूरी तरह से खाली हैं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा लग रहा है, मानो वाशिंगटन में लॉकडाउन लगा है। लोगों में डर है, कि बाइडेन के शपथ ग्रहण से पहले ट्रंप के समर्थक फिर से हिंसा कर सकते हैं। वहीं, FBI ने भी चेतावनी जारी की है, कि 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण से पहले ट्रंप के समर्थक राजधानी की सड़कों पर भारी हिंसा कर सकते हैं। FBI ने अपनी चेतावनी में कहा है, कि ट्रंप के समर्थक बंदूकों के साथ राजधानी में भारी उपद्रव मचा सकते हैं।
जहां एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को पद से बर्खास्त करने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है, वहीं डोनल्ड ट्रंप अब भी 6 जनवरी को कैपिटल हिल में हुए दंगे की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। ट्रंप ने अपने उपर लगे तमाम आरोपों को नकारते हुए कहा, कि दंगे से पहले उन्होंने जो भाषण दिया था, उसमें समर्थकों को ‘उकसाने’ वाली बातें नहीं है।
ट्रंप ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, कि ” अगर आप मेरी स्पीच को ध्यान से देखेंगे, तो पाएंगे कि जो भी मैंने कहा है, वो पूरी तरह से उचित था। ट्रंप ने कहा, कि ‘मेरे भाषण, मेरे शब्दों और अंतिम पैराग्राफ, मेरे अंतिम वाक्य का हर किसी ने विश्लेषण किया, और यह पूरी तरह से उचित था । ट्रंप ने अपने आप को उस वक्त भी सही ठहराया है, जब अमेरिकी संसद में उनके खिलाफ ‘राजद्रोह के लिए उकसाने’ का आरोप लगाया गया है। उन्हें पद से बर्खास्त करने और सजा दिलाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया है।
ट्रंप के खिलाफ लगाए गये महाभियोग प्रस्ताव में कहा गया है, कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को अमेरिकी संसद परिसर में घुसने और घेराबंदी के लिए उस वक्त उकसाने का काम किया, जब वहां इलेक्टोरेल कॉलेज के मतों की गिनती की जा रही थी और ट्रंप समर्थकों के हिंसा की वजह से इस प्रक्रिया में व्यवधान आया। ट्रंप समर्थकों की हिंसा की वजह से 6 जनवरी को एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी।
वहीं, शपथ ग्रहण से पहले हिंसा की आशंका से लोग सड़कों पर निकलने से कतरा रहे हैं। सड़कों पर एक्का-दुक्का गाड़ियां ही दिख रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है, कि अमेरिकी इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब किसी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से पहले लोग खुद को घरों में बंद करने पर मजबूर हो जाएं। दरअसल, अमेरिका में हजारों ऐसे ट्रंप समर्थक हैं, जो उनके लिए बंदूक उठाने के लिए भी तैयार हैं। आशंका तो ये भी जताई जा रही है, कि आने वाले एक महीने में अमेरिका में भीषण हिंसा होना तय है। जिसे देखते हुए अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गईं हैं।