कोविड की दूसरी लहर के दौरान 52 देशों ने भारत की मदद की : केंद्र

नई दिल्ली। देश में कोविड-19 की दूसरी लहर की चपेट में आने पर कुल 52 देश भारत की मदद के लिए आगे आए। केंद्र सरकार ने गुरुवार को यह जानकारी दी। राज्यसभा में सांसद बिनॉय विश्वम को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्य मंत्री (विदेश) वी. ए. मुरलीधरन ने कहा कि अभूतपूर्व संकट के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय उन विशिष्ट दवाओं और उपकरणों के लिए एकजुटता और सहायता के प्रस्तावों के साथ आगे आए, जो देश में तुरंत उपलब्ध नहीं थे।

उन्होंने कहा कि सरकार से सरकारी, निजी से सरकारी, निजी से निजी, भारतीय सामुदायिक संघों और कंपनियों सहित 52 देशों से अब तक विदेशी सामग्री प्राप्त हुई है।

मंत्री ने कहा, अंतर-मंत्रालयी समिति के माध्यम से दान को मंजूरी दी गई, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नीति आयोग, डीपीआईआईटी, एमएचए, एमओएचएफडब्ल्यू आदि के प्रतिनिधि शामिल हैं।

प्राप्त सहायता का विवरण देते हुए, मंत्री ने कहा कि भारत को दूसरी कोविड-19 लहर के दौरान 52 विदेशी देशों से 27,116 ऑक्सीजन सिलेंडर, 29,327 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, 48 ऑक्सीजन पीएसए संयंत्र और 19,375 वेंटिलेटर प्राप्त हुए।

सरकार को विदेशी देशों से 33,30,187 फेविपिरवीर, 11,06,940 रेमडेसिविर, 5,10,245 टोसीलिजुमाब भी मिले। कोविड लहर के दौरान कुल 19,88,985 रैपिड डायग्नोस्टिक किट प्राप्त हुई।

फरवरी महीने तक भारत ने पिछले साल आई पहली लहर के चरम से कुछ हद तक निजात पा ली थी और कोविड-19 को नियंत्रण में भी कर लिया था, मगर इसके बाद वायरस की दूसरी लहर ने देश में मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को हिलाकर रख दिया।

धरातल पर यह दिल दहला देने वाली त्रासदी थी। देश भर में अस्पतालों में बुनियादी चिकित्सा आपूर्ति समाप्त हो गई और ऑक्सीजन की कमी के कारण कई रोगियों की मृत्यु हो गई। आईसीयू बेड की तलाश में परिवार के सदस्य एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे थे। इसके अलावा ऑक्सीजन की सुविधा वाले सामान्य बेड के लिए देश भर में लोग भटक रहे थे।

सरकार ने तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए मदद मांगी थी। भारतीय वायु सेना के परिवहन विमानों को सेवा में लगाया गया। भारतीय नौसेना के युद्ध जहाजों को उस समय की आवश्यक चिकित्सा आवश्यकताओं को प्राप्त करने के लिए मित्र देशों में भेजा गया।

आखिरकार, सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रयास शुरू कर दिए और जून में मामलों की संख्या कम होने के साथ स्थिति में सुधार होने लगा।

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