परिवारवादी राजनीति राज्य का कितना नुकसान कराती है, मुझे खुशी है कि मतदाताओं ने विकास को वोट दिया और लोकतंत्र को मजबूत किया : पीएम मोदी

नई दिल्ली। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे तय हो चुके हैं। जहां चार राज्यों में इस बार भी भाजपा की सरकार बन रही है, वहीं पंजाब में इस बार आम आदमी पार्टी की बंपर जीत हुई है। इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। यहां उन्होंने भाजपा की जीत को लेकर खुशी जताई और कहा कि एक पहाड़ी राज्य, एक समुद्र तटीय राज्य और एक मां गंगा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त राज्य और एक पूर्वोत्तर में स्थित राज्य। भाजपा को चारों तरफ से आशीर्वाद मिला है। पंजाब में पार्टी की हार के बावजूद उन्होंने राज्य के कार्यकर्ताओं को बधाई दी और कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जिस प्रकार पार्टी का झंडा बुलंद किया है।

मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा, “उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद भाजपा लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है। तीन राज्य यूपी, गोवा और मणिपुर में सरकार में होने के बावजूद भाजपा के वोट शेयर में वृद्धि हुई है। गोवा में सारे अनुमान गलत निकल गए। वहां की जनता ने तीसरी बार सेवा करने का अवसर दिया। 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी राज्य में भाजपा की सीटों की संख्या बढ़ी है। उत्तराखंड में भी भाजपा ने नया इतिहास रचा है। राज्य में पहली बार कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है।”

आज पंजाब के भाजपा कार्यकर्ताओं की भी विशेष प्रशंसा करुंगा। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जिस प्रकार पार्टी का झंडा बुलंद किया है, वह आने वाले समय में पंजाब में भाजपा की मजबूती को, देश की मजबूती को एक अहम स्थान के तौर पर विकसित करेंगे। ये मेरा विश्वास है। पंजाब में भाजपा एक शक्ति के रूप में उभरनी है, ये मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं।

पीएम ने कहा, “मैंने राज्य के लोगों को बताया था कि मैं किसी के परिवार के खिलाफ नहीं हूं। मैं लोकतंत्र की चिंता करता हूं और सभी ज्ञानियों को कहता हूं कि लोकतंत्र के तराजू पर इन चीजों को तौल के देखो। मैंने लोगों को बताया कि कैसे परिवारवादी राजनीति उनके राज्य का कितना नुकसान कराती है। मुझे खुशी है कि मतदाताओं ने इस बात को समझते हुए विकास को वोट दिया और लोकतंत्र को मजबूत किया। परिवारवादी राजनीति का सूर्यास्त हो रहा है।”

मोदी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा की जीत की वजह बताते हुए कहा, “मैं सभी ज्ञानियों को कहता हूं कि देश के विकास के लिए सभी पुरानी और घिसी पिटी रिपोर्टों को छोड़ दें। मैं खुद दुख अनुभव करता था कि ज्ञानी लोग यूपी की जनता को सिर्फ जातिवाद के तराजू से तौलते थे। मैं समझता हूं कि यूपी के नागरिकों को जातिवाद की बाड़ेबंदी में बांध कर वे पूरे यूपी और उसके नागरिकों का अपमान करते थे। कुछ लोग ये कह कर यूपी को बदनाम करते हैं कि यहां के चुनाव में तो जाति ही जाति है। लेकिन यूपी के लोगों ने दिखा दिया है। 2014, 2017 और 2021 के बाद अब 2022 में देख रहे हैं कि हर बार यूपी के लोगों ने विकासवाद की राजनीति को ही चुना है। यूपी के लोगों ने इनको सबक दिया है और ये सबक उन्हें सीखना होगा। उन्होंने सबक दिया है कि जाति कि गरिमा और जाति का मान देश को जोड़ने के लिए होना चाहिए, देश को तोड़ने के लिए नहीं होना चाहिए। ये यूपी के लोगों ने चार चुनाव में कर के दिखाया है।”

“यूपी में हमारी विजय का एक कारण यह भी है कि वहां के लोगों ने कई दशक तक संप्रदाय और जातिवादी से जुड़ी राजनीति का नुकसान सहा है। मैं बनारस का सांसद रहा हूं। यूपी के लोगों के प्यार और आशीर्वाद ने मुझे भी यूपी वाला बना दिया है। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि जाति को बदनाम करने वालों से संप्रदाय को बदनाम करने वालों से अब दूर रहना है और राज्य के विकास को ही सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है। आजादी के 75वें वर्ष को देखते हुए इन चुनाव परिणामों का बहुत महत्व है।”

भाजपा की नीति, भाजपा की नीयत और भाजपा के निर्णयों पर अपार विश्वास। साथियों ये चुनाव नतीजे भाजपा की प्रो-पुअर, प्रोएक्टिव गवर्नेंस पर एक प्रकार से बड़ी मजबूत मुहर लगाते हैं। पहले जनता अपने ही हक के लिए सरकार के दरवाजे खटखटाती थी। बिजली, पानी, गैस, टेलिफोन। बहुत बुनियादी सुविधाओं, सामान्य जरूरतों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। पैसे देने पड़ते थे। कुछ साधन संपन्न लोगों तक सुविधा पहुंचने के रास्ते अलग थे। मैं लंबे अरसे तक सीएम के नाते काम कर के आया हूं। इसलिए मुझे पता है कि आखिरी इंसान तक सुविधा पहुंचाने के लिए क्या करना पड़ता है। भाजपा गरीब को भरोसा देती है कि प्रत्येक गरीब तक सरकार ने निर्णय की दी गई सुविधाएं जरूर पहुंचेंगी। मैं गरीब के घर तक उसका हक पहुंचाए बिना चैन से बैठने वाला इंसान नहीं हूं।

पीएम मोदी ने कहा, “आज इस संकट की स्थिति में मैं अपनी कुछ चिंताएं व्यक्त करना चाहता हूं। मैं लोकतंत्र की चिंता करता हूं और सभी ज्ञानियों को कहता हूं कि लोकतंत्र के तराजू पर इन चीजों को तौल के देखो। मैं ये भी कहूंगा कि 2019 के चुनाव नतीजों के बाद कुछ राजनीतिक ज्ञानियों ने कहा था कि भई 2019 की जीत में क्या है, ये तो 2017 में ही तय हो गई थी। क्योंकि 2017 में यूपी का नतीजा आया था। मैं मानता हूं कि इस बार ये ज्ञानी जरूर कहेंगे कि 2022 के नतीजों ने 2024 के नतीजे तय कर दिए हैं।”

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