संकट से जूझती बसपा को कांग्रेस से बड़ा ‘खतरा’, भाजपा से हाथ मिलाने की भी चर्चा शुरू

लखनऊ। 

तीन दशक पहले जिस बसपा के उठान के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पतन होता दिखाई दिया, अब उसी कांग्रेस के ‘जिंदा’ होने से बसपा के सामने अस्तित्व बचाने का ‘खतरा’ है। अठारहवीं लोकसभा चुनाव के नतीजों को सीटवार देखने से लगता है कि संकट से जूझ रही बसपा को सबसे ज्यादा झटका कांग्रेस ने ही दिया है। कांग्रेस का जिन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन रहा है, उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक सीटों के पांच प्रतिशत मतदाताओ ने इस बार ‘हाथी’ का बटन नहीं दबाया। प्रदेश की 50 लोकसभा सीटों पर बसपा को दस प्रतिशत से भी कम वोट मिला है।

इस बीच विधानसभा चुनाव में भी अब सपा-कांग्रेस के साथ रहने की घोषणा के बाद बसपा के भाजपा से हाथ मिलाने की भी चर्चा होने लगी है। लोकसभा चुनाव में अकेले ही उतरने वाली बसपा के लिए फिर शून्य पर सिमटने से ज्यादा चिंता की बात यह है कि उसका दस प्रतिशत से अधिक जनाधार खिसक गया। 80 में से 79 सीटों पर चुनाव लड़ी बसपा तीसरे-चौथे पायदान पर पहुंच गई। 2019 के चुनाव में सपा-रालोद से गठबंधन के कारण चलते 38 सीटों पर लड़कर दस सीट जीतने वाली बसपा 27 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.