भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद हाईकोर्ट का आदेश, हटाया जायेगा 377 टन जहरीला कचरा, बनाया जायेगा ग्रीन कॉरिडोर
नई दिल्ली।
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 377 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को हटाने का काम शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर बंद पड़ी फैक्ट्री के कचरे को निपटान के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भोपाल से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 250 किमी दूर इंदौर के पास पीथमपुर ले जाया जाएगा। सुरक्षा के मद्देनजर 100 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। साथ ही करीब 300 अधिकारी-कर्मचारियों की टीम कचरे इस काम में जुट गई है।
दरअसल, फैक्ट्री साइट को खाली करने के बार-बार निर्देश के बावजूद कार्रवाई न करने के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई थी, जिसके बाद प्रशासन जागा है। बीते रविवार की सुबह विशेष रूप से बने 12 कंटेनर यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री पहुंचे। एक्सपर्ट ने कचरे की जांच की। इसके बाद पीपीई किट पहने कर्मचारियों ने खास जंबू बैग्स में कचरा भरना शुरू किया।
विशेष पीपीई किट पहने कई कर्मचारी और भोपाल नगर निगम, पर्यावरण एजेंसियों, डॉक्टरों और भस्मीकरण यानी कूड़ा जलाने वाले विशेषज्ञों के अधिकारी साइट पर करते देखे गए। फैक्ट्री के आसपास पुलिस भी तैनात की गई थी। सूत्रों ने बताया कि जहरीले कचरे को भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर इंदौर के पास पीथमपुर में एक भस्मीकरण स्थल पर ले जाया जाएगा।
मप्र हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी। अदालत ने कहा था कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अधिकारी ‘निष्क्रियता की स्थिति’ में हैं, जिससे ‘एक और त्रासदी’ हो सकती है। इसे ‘दुखद स्थिति’ बताते हुए उच्च अदालत ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
पता हो कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट लीक हुई थी, जिससे 5 हजार 479 लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख से अधिक लोग सेहत संबंधी समस्याओं और विकलांगताओं से ग्रसित हो गए थे। तब से अब तक फैक्ट्री बंद पड़ी है और कचरा भोपाल के सीने पर बोझ की तरह जमा है।