विशेष लेख : छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव : 25 वर्षों की गौरवशाली कृषि यात्रा’

कोरबा।

छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के 25 गौरवशाली वर्षों का उत्सव रजत महोत्सव के रूप में मना रहा है। इस अवसर पर हर क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, ऊर्जा और ग्राम्य विकास के साथ-साथ कृषि क्षेत्र ने भी इन वर्षों में अद्भुत प्रगति की है। कृषि विभाग कोरबा की यह 25 वर्ष की यात्रा किसानों की मेहनत, सरकारी नीतियों की सफलता और आधुनिक तकनीकों के समन्वय की जीवंत कहानी है। वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना, तब कृषि क्षेत्र पारंपरिक स्वरूप में था, लेकिन आज 2025 में यह आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित क्षेत्र बन चुका है।

’आत्मनिर्भर कृषि, किसानों की मेहनत और योजनाओं का सफल संगम’

राज्य के गठन के बाद कोरबा जिले ने कृषि उत्पादन, क्षेत्र विस्तार, बीज और उर्वरक वितरण के साथ-साथ तकनीकी नवाचार में भी निरंतर प्रगति दर्ज की है। 25 वर्षों की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ के किसान अब केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता के प्रतीक बन चुके हैं। वर्ष 2000 में कोरबा जिले में खरीफ फसलों का कुल क्षेत्र 01 लाख 33 हजार 880 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 01 लाख 37 हजार 066 हेक्टेयर हो गया है। इसी प्रकार रबी फसलों के अंतर्गत क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2000 में कुल रबी क्षेत्र 14 हजार 780 हेक्टेयर था, जो अब 40 हजार 368 हेक्टेयर तक पहुँच चुका है। यह वृद्धि केवल आँकड़ों में नहीं, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि जिले के किसान अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर फसल विविधीकरण और वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर हुए हैं।वर्ष 2000 में खरीफ के अंतर्गत अनाज का क्षेत्रफल 02 हजार 096 हेक्टेयर था, जो अब 03 हजार 664 हेक्टेयर तक पहुँच गया है। दलहन फसलों का क्षेत्र भी 04 हजार 535 हेक्टेयर से बढ़कर 07 हजार 581 हेक्टेयर हुआ है, जबकि तिलहन फसलों का क्षेत्र 06 हजार 068 हेक्टेयर से बढ़कर 09 हजार 608 हेक्टेयर हो गया है। सब्जी एवं अन्य फसलों की बात करें तो यह विस्तार सबसे उल्लेखनीय रहा है वर्ष 2000 में 02 हजार 081 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जियाँ बोई जाती थीं, जो अब बढ़कर 19 हजार 515 हेक्टेयर हो गई हैं। यह आँकड़े बताते हैं कि जिले के किसान अब नकदी फसलों, सब्जी उत्पादन और विविध खेती की दिशा में सशक्त रूप से आगे बढ़े हैं।
खेती में उत्पादकता बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता को कोरबा कृषि विभाग ने प्राथमिकता दी। वर्ष 2000 में खरीफ सीजन में किसानों को 2,501.25 क्विंटल बीज वितरित किए गए थे, जबकि वर्ष 2025 में यह आँकड़ा बढ़कर 39,404.34 क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार रबी सीजन में वर्ष 2000 के 482.5 क्विंटल की तुलना में वर्ष 2025 में 01हजार 994.27 क्विंटल बीज किसानों को प्रदान किए गए हैं। कुल मिलाकर वर्ष 2000 में जहाँ 02 हजार 983.75 क्विंटल बीज वितरित किए गए थे, वहीं वर्ष 2025 में यह बढ़कर 41 हजार 398.61 क्विंटल तक पहुँच गया है। यह उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है कि किसानों में गुणवत्तापूर्ण बीजों के उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ी है और कृषि विभाग ने इस दिशा में सतत प्रयास किए हैं।

खेती की उत्पादकता को बढ़ाने में रासायनिक उर्वरकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। कोरबा जिले में उर्वरक वितरण में पिछले 25 वर्षों में लगभग चार गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2000 में खरीफ सीजन में 04 हजार 173 टन उर्वरक किसानों को उपलब्ध कराए गए थे, जबकि वर्ष 2025 में यह मात्रा बढ़कर 16 हजार 778.73 टन हो गई है। रबी सीजन में वर्ष 2000 के 479 टन की तुलना में अब 570.55 टन उर्वरक वितरित किए जा रहे हैं। इस प्रकार कुल उर्वरक वितरण वर्ष 2000 के 04हजार 652 टन से बढ़कर अब 17 हजार 349.28 टन हो गया है। यह आंकड़े न केवल कृषि में उर्वरक उपयोग की दक्षता को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि कोरबा जिले के किसान अब वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर हैं।पिछले दो दशकों में कोरबा जिले में कृषि का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है। पहले जहाँ कृषि केवल जीविकोपार्जन का साधन थी, वहीं अब यह एक लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है। फसल विविधीकरण, सिंचाई के साधनों का विस्तार, जैविक खेती, और आधुनिक तकनीक के उपयोग ने जिले की कृषि को मजबूती दी है। कृषि विज्ञान केंद्र और आत्मा परियोजना के माध्यम से किसानों को निरंतर प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान किया जा रहा है। मिट्टी परीक्षण, फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी पहलों ने किसानों को जोखिम से बचाने और उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।महिला स्व-सहायता समूहों ने भी कृषि क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। इन समूहों ने जैविक खाद निर्माण, सब्जी उत्पादन और बीज प्रसंस्करण जैसे कार्यों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है और महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता में भी वृद्धि हुई है। युवाओं को कृषि में नवाचार और उद्यमिता की दिशा में प्रेरित किया गया है। कृषि आधारित स्टार्टअप, ड्रिप सिंचाई, फसल प्रसंस्करण और विपणन के क्षेत्र में युवाओं ने नई संभावनाएँ खोली हैं।छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती के इस पावन अवसर पर कोरबा का कृषि विभाग अपनी इन उपलब्धियों पर गर्व करता है। यह यात्रा केवल विभागीय योजनाओं की नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत, तकनीकी जागरूकता और प्रशासनिक प्रतिबद्धता की साझी सफलता की कहानी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाने की दिशा में जो ठोस कदम उठाए गए हैं, उनका प्रत्यक्ष प्रभाव कोरबा की धरती पर देखा जा सकता है। यदि संकल्प और समर्पण साथ हों, तो परिवर्तन निश्चित होता है। यह यात्रा केवल खेतों की हरियाली तक सीमित नहीं, बल्कि यह किसानों के चेहरों पर आई मुस्कान, आत्मनिर्भरता की भावना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है।

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