ईरान के सर्वोच्च नेता ख़ामेनई ने हिन्दी में खोला अपना ट्विटर अकाउंट, प्रधानमंत्री मोदी की बहुत बड़ी कूटनीतिक विजय
न्यूज़ डेस्क। पिछले कुछ दिनों से भारत और ईरान के रिश्ते को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। इसी बीच ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई ने हिन्दी में अपना ट्विटर अकाउंट खोलकर सबको हैरान कर दिया है। सबसे खास बात यह है कि जहां प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी App में अपना अकाउंट बंद किया, वहीं ख़ामेनई ने हिन्दी भाषा में आधिकारिक अकाउंट खोला, जिसमें उनका नाम भी हिंदी में लिखा है। साथ ही उन्हें हिंदी में ट्वीट भी किए हैं। ख़ामेनई ने पहला ट्वीट किया “अल्लाह के नाम से, जो बेहद मेहरबान और रहम दिल वाला है.”
वहीं दूसरा ट्वीट ईद ए ग़दीर के मौके को लेकर किया, उन्होंने लिखा “हालांकि ग़दीर की घटना से हम शीयों का हार्दिक रिश्ता बहुत मज़बूत है लेकिन हक़ीक़त यह है कि ग़दीर की घटना अपने तथ्यों और वास्तविक आत्मा की दृष्टि से केवल शीयों तक सीमित नहीं बल्कि सारी इस्लामी दुनिया से संबंधित है। इसलिए कि ग़दीर की घटना इस्लाम की वास्तविक आत्मा पर आधारित है।”
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान है
— आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई (@In_khamenei) August 8, 2020
हालांकि ख़ामेनई ने फारसी, अरबी, उर्दू, फ्रेंच, स्पैनिश, रूसी और अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं में भी अपना ट्विटर अकाउंट खोल रखा है। लेकिन भारत-चीन टकराव के बीच हिन्दी भाषा में ट्विटर अकाउंट खोला जाना भारत और ईरान के रिश्तों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। विदेशी कूटनीतिक हल्कों में इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। अपनी बातों को रखने के ईरान के सर्वोच्च नेता के तरीकों से अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि ईरान अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा ताकि बात-चीत करने में आसानी कायम की जा सके।
हालांकि ग़दीर की घटना से हम शीयों का हार्दिक रिश्ता बहुत मज़बूत है लेकिन हक़ीक़त यह है कि ग़दीर की घटना अपने तथ्यों और वास्तविक आत्मा की दृष्टि से केवल शीयों तक सीमित नहीं बल्कि सारी इस्लामी दुनिया से संबंधित है। इसलिए कि ग़दीर की घटना इस्लाम की वास्तविक आत्मा पर आधारित है।
— आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई (@In_khamenei) August 8, 2020
ईरान के भारत के साथ लंबे समय से ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। हाल ही में ईरान के साथ कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद दोनों देशों के बीच सहयोग बना रहा। चाबहार बंदरगाह और चाबहार-जाहेदान बंदरगाह रेल लिंक के विकास जैसी परियोजनाओं से भारत को अलग करने की अटकलें लगाई गई, जो बाद में निराधार साबित हुईं।
उल्लेखनीय है कि ख़ामेनई इस समय ईरान के सर्वोच्च नेता हैं। वह 1981 से 1989 तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। वह 1989 से अब तक किसी पश्चिम एशियाई देश के सबसे लंबे समय तक सरकार का प्रमुख रहे हैं।