#krishnajanmashtami 2020: जन्माष्टमी पर ऐसे करें श्रीकृष्ण कन्हैया की अराधना, पूरी होगी हर मनोकामना …….
धर्म डेस्क। आज देशभर में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। कई जगहों पर कृष्णाष्टमी का पर्व आज मनाया जा रहा है तो वहीं मथुरा, वृंदावन, द्वारका समेत कई जगहों पर कल यानी 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। ज्ञात हो कि जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी धूम धाम से मनाई जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में भगवान कृष्ण की झांकियां सजाई जाती है, लेकिन कोरोना संकट का असर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी देखने को मिल रहा है।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भागवान श्रीकृष्ण को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु के 8वें अवतार माना जाते है। भाद्रपद अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह हिन्दुओं का खास त्योहार है। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के वक्त हुआ था। मान्यता के अनुसार इस भगवान कृष्ण की पूजा करने सभी तरह के दुखों का नाश होता है और भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।
पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की सूची…
- एक खीरा, दही, शहद, दूधएक चौकी, पीला साफ कपड़ा, पंचामृतबाल कृष्ण की मूर्ति, एक सांहासन, गंगाजलदीपक, घी, बातीधूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षतमाखन, मिश्री, भोग सामग्रीतुलसी का पत्ता
कान्हा के श्रृंगार के लिए…
- पीले वस्त्र और मोरपंखवैजयंती माला और चूड़ियांबांसुरी और मुकुटइत्र और बांसुरी
व्रत और पूजा विधि…
- उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं।
- सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।
- जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें।
- मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए ‘सूतिकागृह’ नियत करें।
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
इस मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें…
‘प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः.
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः.
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते’
व्रत विधि…
- व्रत के दिन मध्याह्न में स्नानकर माता देवकी के लिए सूतिका गृह बनाएं।
- इस सूतिका गृह में बाल गोपाल समेत माता देवकी की मूर्ति स्थापित करें।
- विभिन्न मंत्रों द्वारा माता देवकी, बाल गोपाल कृष्ण, नन्दबाबा, यशोदा माता, देवी लक्ष्मी आदि की पूजा करनी चाहिए।
- आधी रात को गुड़ और घी से वसोर्धारा की आहुति देकर षष्ठीदेवी की पूजा करनी चाहिए।
- नवमी के दिन माता भगवती की पूजा कर ब्राह्मणों को दक्षिणा देनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए।
पूजन विधि…
बेशक जन्माष्टमी का पूजन मध्य रात्रि को होता है परंतु इसकी तैयारी प्रात:काल से ही प्रारंभ हो जाती है। इसके लिए सुबह स्नान आदि से निवृत हो कर भगवान को प्रणाम करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद केले के खंभे,आम और अशोक की पत्तियों से मंडप तैयार करके उसमें पालना सजायें।
घर के मुख्यद्वार पर मंगल कलश एवं मूसल स्थापित करें। इसके बाद मध्य रात्र होते ही शंख और घंटे की ध्वनि के बीच गर्भ के प्रतीक नार वाले खीरे से भगवान का जन्म कराएं। तत्पश्चात पंचोपचार पूजन करें। इसके लिए सर्वप्रथम बाल कृष्ण जिन्हें बाल मुकुंद भी कहते हैं, की मूर्ति को एक पात्र में रख कर दुग्ध, दही, शहद, पंचमेवा और सुंगध युक्त शुद्घ जल और गंगा जल से स्नान करायें, फिर उन्हें पालने में स्थापित करें, और वस्त्र धारण करायें।
इस अवसर पर भगवान को पीले वस्त्र पहनाना अति उत्तम माना जाता है। इसके बाद भगवान की विधि विधान से आरती करें। अंत में उन्हें नैवैद्य अर्पित करें। नैवैद्य में फल और मिष्ठान के साथ अपनी परंपरा के अनुसार धनिया, आटे, चावल या पंच मेवा की पंजीरी भोग लगाने के लिए शामिल करें। भगवान को इत्र अवश्य लगायें।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
!!जय श्री कृष्णा !!
राधे राधे।