फेसबुक पक्षपात विवाद में सामने आया बड़ा बयान, फेसबुक इंडिया के हेड ने माना- प्रमुख पदों पर बैठे लोग बीजेपी विरोधी
न्यूज़ डेस्क। फेसबुक के कथित पक्षपात को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में मचे घमासान बीच एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। फेसबुक इंडिया हेड अजित मोहन से बुधवार को एक संसदीय समिति ने करीब दो घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान उन्होंने माना कि फेसबुक इंडिया में प्रमुख पदों पर बैठे लोग बीजेपी विरोधी हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जो उन्होंने दस साल पहले लिखा, उसे वापस ले लिया है। इससे बीजेपी के उस दावे की पुष्टि हुई है कि फेसबुक इंडिया की टीम राजनीतिक विचारधारा के आधार पर भेदभाव करती है।
केरल कांग्रेस के सलाहकार रह चुके हैं फेसबुक इंडिया के हेड
सूत्रों के मुताबिक फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजीत मोहन ने संसदीय समिति को बताया कि उन्होंने पहले केरल में कांग्रेस के साथ सलाहकार के रूप में काम किया था। उन्होंने समिति को यह भी बताया कि उन्होंने वर्तमान केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ लिखे गए अपने सभी लेखों को वापस ले लिया है।
Facebook India MD Ajit Mohan told the parliamentary committee that he had earlier worked as a consultant with the Congress in Kerala. He also told the committee that he has withdrawn all his articles written against the present-day government and Modi. https://t.co/6DIFkV8kfg
— Prasanna Viswanathan (@prasannavishy) September 2, 2020
फेसबुक इंडिया हेड के क़बूलनामे से कांग्रेस का उल्टा पड़ा दांव
संसदीय समिति की बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन विपक्ष पर भारी पड़ा। सत्तापक्ष गठबंधन के पक्ष में 11 और विपक्ष की तरफ से 6 सदस्य रहे। वहीं फेसबुक इंडिया के प्रमुख के क़बूलनामे से कांग्रेस का दांव उल्ट पड़ गया। समिति में बहुमत न होने से विपक्ष और थरूर को कदम पीछे खींचने पड़े।
संसदीय समिति के सामने पेश हुए फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजीत मोहन
कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग रोकने के मुद्दे पर सुनवाई के लिए फेसबुक के प्रतिनिधियों को बुलाया था। सुनवाई के दौरान फेसबुक इंडिया के प्रमुख अजीत मोहन खुद समिति के सामने पेश हुए। सुनवाई के दौरान सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे।
समिति के अध्यक्ष पद से थरूर को हटाने की भी मांग
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेता (थरूर) अपना और अपनी पार्टी का राजनीतिक एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए समिति का इस्तेमाल कर रहे हैं और यहां तक कि उन्होंने (दुबे ने) समिति के अध्यक्ष पद से थरूर को हटाने की भी मांग की।
फेसबुक का कांग्रेस कनेक्शन
दरअसल बीजेपी अपनी तैयारी करके आई थी और उसने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर ही फेसबुक के साथ मिलीभगत का आरोप लगा दिया। बीजेपी सांसदों ने बैठक में कांग्रेस और फेसबुक के बीच के रिश्ते को लेकर सबूत के तौर पर कई लोगों के नाम दिए जो फेसबुक की मैनेजमेंट में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि फेसबुक का फैक्ट चेक करने वाले 8 संगठन खुद ही लेफ्ट और कांग्रेस मानसिकता वाले हैं। उदाहरण के तौर पर बीजेपी ने सोनिया गांधी के दिल्ली दंगों के दौरान हुए ‘आर पार की लड़ाई’ के भाषण को लेकर फेसबुक को शिकायत दर्ज की थी मगर फेसबुक में वह भाषण हटाने से साफ मना कर दिया था।
प्रेस में खबर लीक करने का आरोप
विदेशी मीडिया में छपी खबरें राजनीति से प्रेरित हैं। फेसबुक के मैनेजिंग डायरेक्टर पर सवालिया निशान लगाते हुए बीजेपी सांसद ने कहा कहा कि आप खुद कुछ साल पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल के लिए लिखते थे। उस वक्त आपने जो विचार लिखे क्या वह सही हैं? आपने कश्मीर, आदिवासियों पर सरकार पर आरोप लगाए, क्या इससे भी ताल्लुक रखते हैं। इस पर फेसबुक के मैनेजिंग डायरेक्टर बोले कि वे अपने विचारों से अब ताल्लुक नहीं रखते क्योंकि उस समय वे भारत को बहुत अच्छी तरह नहीं जानते थे।
फॉलोअर्स ज्यादा फिर भी स्पेस कम
वहीं एक सांसद बोले कि बीजेपी के फेसबुक पर 26 लाख फॉलोअर हैं जबकि वामपंथी और कांग्रेसियों के लगभग दो लाख। ऐसे में दोनों की तुलना कैसे की जा सकती है? एक तरफ राष्ट्रवादी मानसिकता के लगभग अपने 700 पोस्ट हटाए जबकि कांग्रेस और लेफ्ट की भी उतनी ही पोस्ट हटाए गए हैं। एक सदस्य ने फेसबुक के प्रतिनिधि से कहा की Sikhforjustice का पोस्ट आपको हटाने के लिए बोला था मगर आपने नहीं हटाया। सरकार के कहने पर भी आपने वह पोस्ट नहीं हटाया जिसमें भारत का नक्शा गलत दिखाया हुआ था।
बीजेपी का फेसबुक इंडिया की टीम पर भेदभाव का आरोप
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि फेसबुक इंडिया की टीम, खासतौर पर कई वरिष्ठ अधिकारी, एक खास राजनीतिक विचारधारा के समर्थक हैं और उसी आधार पर भेदभाव करते हैं। इस विचारधारा को देश की जनता दो बार लगातार स्वतंत्र व पारदर्शी आम चुनावों में खारिज कर चुकी है। प्रसाद ने पत्र में लिखा कि फेसबुक को संतुलित व निष्पक्ष होना चाहिए।
विदेशी अखबारों में छपी थीं रिपोर्ट
ज्ञात हो कि हाल ही में ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ अखबार और ‘टाइम पत्रिका’ ने कुछ खबरें प्रकाशित की थीं जिनमें दावा किया गया था कि फेसबुक की भारतीय यूनिट के कुछ पदाधिकारियों ने बीजेपी को फायदा पहुंचाया। जिसके बाद कांग्रेस ने फेसबुक की भारतीय इकाई और बीजेपी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था और जुकरबर्ग को पत्र लिखकर इस मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग की थी। कांग्रेस ने बीजेपी और फेसबुक इंडिया के लोगों के बीच कथित संबंध के मामले की जांच जेपीसी से कराने की भी मांग की थी।