जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को यहां जमीन का मालिकाना हक देना स्वीकार नहीं, दर्ज कराएँगे आपत्तियां – उमर अब्दुल्ला
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में गुपकर घोषणा को लागू करने के लिए बने अनेक राजनीतिक दलों के ‘‘गुपकर घोषणापत्र गठबंधन” ने मंगलवार को भूमि संबंधी कानूनों में संशोधनों की निंदा की जिनमें बाहरी लोगों को केंद्रशासित प्रदेश में जमीन खरीदने की अनुमति देने का प्रावधान है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) समेत जम्मू कश्मीर के अनेक मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने इस विषय पर हर मोर्चे पर लड़ने का संकल्प व्यक्त किया। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर अपनी पार्टी का रुख दोहराया।
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि यह अस्वीकार्य संशोधन है। जमीन के मालिकाना हक के कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो स्वीकार करने लायक नहीं हैं। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए डोमिसाइल का सबूत भी नहीं देना है। अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है अब उसे और मुश्किलें होंगी।
Unacceptable amendments to the land ownership laws of J&K. Even the tokenism of domicile has been done away with when purchasing non-agricultural land & transfer of agricultural land has been made easier. J&K is now up for sale & the poorer small land holding owners will suffer.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 27, 2020
केंद्र सरकार ने एक राजपत्रित अधिसूचना में जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से ‘राज्य का स्थायी नागरिक’ वाक्यांश हटा लिया है। यह धारा केंद्रशासित प्रदेश में जमीन के निस्तारण से संबंधित है और नया संशोधन बाहर के लोगों को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में जमीन खरीदने का अधिकार देने का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि केंद्र सरकार के नये कदम से ‘जम्मू कश्मीर को बिक्री’ के लिए रख दिया गया है। पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए अधिसूचित नये भूमि कानूनों की आलोचना की और कहा कि नया जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों के हितों के प्रतिकूल है।
उन्होंने कहा कि इन नये कानूनों के साथ मूल निवास प्रमाणपत्र की प्रतीकात्मकता को समाप्त कर दिया गया है और गैर-कृषि भूमि की खरीद को और आसान बना दिया गया है। अब्दुल्ला ने कहा कि ये नये कानून जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जनता के लिए अस्वीकार्य हैं।
उन्होंने भाजपा पर अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि ‘‘संशोधित भूमि नियमों की अधिसूचना जारी करने से भाजपा की सस्ती राजनीति की बू आती” है। गुपकर घोषणा के लिए बने पीपल्स अलायंस (PDP) के प्रवक्ता सज्जाद लोन ने नये कानूनों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘संशोधन से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के मूल निवासियों के असंवैधानिक रूप से दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित राज्य में अचल संपत्ति खरीदने और रखने के विशेष अधिकारों को छीन लिया गया है और राज्य से बाहर के लोगों को ये अधिकार प्रदान किये गये हैं।”
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश को ‘बड़ा विश्वासघात’ करार देते हुए लोन ने कहा, ‘‘यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की जनता के अधिकारों पर बड़ा हमला है तथा पूरी तरह असंवैधानिक है। गठबंधन ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के विरोधी कदमों का सभी मोर्चों पर मुकाबला करने का संकल्प लिया है।”
After failing on all fronts to provide roti & rozgar to people, BJP is creating such laws to whet the appetite of a gullible electorate. Such brazen measures reinforces the need of people of all three provinces of J&K to fight unitedly .
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 27, 2020
PADG में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा, भाकपा, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स मूवमेंट पार्टियां शामिल हैं। माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर की जनता को और अशक्त बनाने तथा उनकी जमीन को कंपनियों के लिए बेचने की सोच है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एकीकरण, विकास और सुरक्षा के नाम पर जमीनों की दिनदहाड़े लूट है।”
PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह जम्मू कश्मीर की जनता को अधिकारों से वंचित करने का एक और कदम है। JKAP के अध्यक्ष बुखारी ने एक अलग बयान में कहा कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर में भूमि अधिकारों के संबंध में राजपत्रित अधिसूचना का अध्ययन करेगी और देश के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराएगी।