महाराष्ट्र में सियासी गतिरोध के बीच पहली बार बीजेपी के चाणक्य श्री शाह ने शिवसेना को दिया ये जवाब यंहा …… पढ़े
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सियासी ऊहापोह इन दिनो बढ़ता ही जा रहा है। बीजेपी से रिश्ता तोड़ने के बावजूद भी शिवसेना महाराष्ट्र को सरकार देने में कामयाब नहीं हो पाई है। शिवसेना ने इसके लिए भरपूर कोशिश की और मोदी कैबिनेट से अपने मंत्री अरविंद सावंत का इस्तीफा तक दिला दिया, लेकिन कई राउंड की मीटिंग करने के बावजूद कांग्रेस और NCP ने शिवसेना को समर्थन पर अंतिम निर्णय नहीं लिया। जिसके बाद राज्य नें राष्ट्रपति शासन लग गया। लेकिन इन सब के बीच पहली बार सारे सियासी धटनाक्रम को बारिकी से देख रहे बीजेपी के चाणक्य और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।
राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता इसलिए भी पड़ी कहीं विपक्ष ये आरोप ना लगाए कि राज्यपाल भाजपा की अस्थायी सरकार को चला रहे हैं।
अब सबके पास 6महीने का समय है अगर किसी के पास बहुमत है तो राज्यपाल से मिल ले।लेकिन एक संवैधानिक पद को इस तरह राजनीति में घसीटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। pic.twitter.com/aCi4Ec6In8
— Amit Shah (@AmitShah) November 13, 2019
अमित शाह ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “चुनावों से पहले पीएम और मैंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि अगर हमारा गठबंधन जीतता है तो देवेंद्र फडणवीस सीएम होंगे, तब किसी ने आपत्ति नहीं की थी। अब वे नई मांगें लेकर आए हैं, जो हमें स्वीकार्य नहीं हैं।” श्री शाह ने आगे कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन जितना समय नहीं दिया था।
महाराष्ट्र में राज्यपाल जी ने सभी को पूरा समय दिया।
लगभग 18 दिन का समय दिया गया पर कोई भी बहुमत साबित नहीं कर पाया।
राज्यपाल जी द्वारा न्योता तब दिया गया जब 09 नवंबर को विधानसभा की अवधी समाप्त हो गयी।
आज भी अगर किसी के पास बहुमत है तो वो राज्यपाल से मिल कर दावा कर सकता है। pic.twitter.com/S7ngMtq2Br
— Amit Shah (@AmitShah) November 13, 2019
राज्यपाल ने विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही पार्टियों को आमंत्रित किया। न तो शिवसेना और न ही कांग्रेस-राकांपा ने दावा किया और न ही हमने। अगर आज भी किसी पार्टी के पास संख्या है तो वह राज्यपाल से संपर्क कर सकती है। बता दें कि महाराष्ट्र में 24 नवंबर को परिणाम घोषित होने के बाद 12 नवंबर को किसी भी पार्टी द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सिर्फ कोरी राजनीति है।
माननीय राज्यपाल जी द्वारा कहीं भी संविधान को तोड़ा-मरोड़ा नहीं गया।
दोपहर में NCP द्वारा पत्र लिखकर रात 8 बजे तक सरकार बनाने में असमर्थता जताने के बाद ही राज्यपाल जी ने राष्ट्रपति शासन लगाया है। pic.twitter.com/vpzNNIYJuI
— Amit Shah (@AmitShah) November 13, 2019