दिवाली 2020 : आज दिवाली पर इस शुभ महासंयोग में महालक्ष्मी करेंगी धन वर्षा, सबसे उत्तम लाभ के लिए ये हैं लक्ष्मीपूजन के चौघाड़िया मुहूर्त
धर्म डेस्क। इस बार दीपावली पर महासंयोग बन रहा है। तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग और छोटी-बड़ी दीवाली एक साथ। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो यह दुर्लभ संयोग 1521 में बना था जो हमको शनिवार को उपलब्ध होगा। दीप पर्व पर गुरु ग्रह अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में रहेगा। लक्ष्मी जी का स्व: ग्रह शुक्र कन्या राशि में होगा। लक्ष्मी पूजन के समय स्वाति नक्षत्र होगा। इन ग्रहों के संयोग से दिवाली सुख शांति समृद्धि प्रदान करेगी लेकिन स्वास्थ्य के प्रति सभी को अभी सचेत रहना होगा।
बड़ी और छोटी दिवाली एक साथ
पांच पर्वों का दिवाली पर्व इस बार चार पर्व में सिमट गया। छोटी और बड़ी दिवाली शनिवार को ही होगी। सवेरे छोटी दिवाली का पूजन होगा और सायंकाल श्रीलक्ष्मीजी के पूजन के साथ दीप पर्व। छोटी और बड़ी दिवाली एक साथ 499 साल बाद एक साथ आई है। धनतेरस के अगले दिन दिवाली एक अद्भुत संयोग है।
चतुर्दशी और अमावस्या
शनिवार को प्रातः काल से चतुर्दशी दोपहर 2.18 तक रहेगी। यानी छोटी दिवाली ( नरक/ रूप चतुर्दशी) का पूजन इसी समय तक हो सकता है। हनुमान जयंती भी इसी काल तक करनी होगी। उसके बाद अमावस्या का प्रारम्भ हो जाएगा।
लक्ष्मी पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 14 नवंबर 2020
घर पर दिवाली पूजन
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:30 तक ( वृष, स्थिर लग्न)
- प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक
- महानिशीथ काल मुहूर्त ( काली पूजा)
- महानिशीथ काल मुहूर्त्त: रात्रि 11:39 से 00:32 तक।
- सिंह काल मुहूर्त्त: रात्रि 12:15 से 02:19 तक।
व्यापारिक प्रतिष्ठान पूजा मुहूर्त
- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित: दोपहर 12:09 से शाम 04:05 तक।
- लक्ष्मी पूजा 2020: चौघड़िया मुहूर्त
- दोपहर: (लाभ, अमृत) 14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 तक।
- शाम: (लाभ) 14 नवंबर की शाम को 05:28 से शाम 07:07 तक।
- रात्रि: (शुभ, अमृत, चल) 14 नवंबर की रात्रि 08:47 से देर रात्रि 01:45 तक
- प्रात:काल: (लाभ) 15 नवंबर को 05:04 से 06:44 तक
- कैसे करें पूजा
सर्वप्रथम पूजा का संकल्प लें
- श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर का पूजन करें
- ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें
- एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें
- श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें
- देवी सूक्तम का पाठ करें
* सूर्यकांत द्विवेदी