कम उत्पादकता वाले जिले होंगे धन धान्य, राज्यों के साथ होगी प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना की शुरुआत
नईदिल्ली ।
ग्रामीण आबादी को संपन्नता की ओर ले जाने एवं उनके कार्यकलाप को सहज-सुलभ बनाने में राज्यों की भी सहभागिता होगी। केंद्र सरकार उनके साथ मिलकर गांवों के विकास की कहानी लिखेगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अंग्रेजी के ज्ञान शब्द को ध्यान में रखकर गरीब, युवा, अन्नदाता एवं नारी सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव का खाका खींचा है। इसके लिए राज्यों से मिलकर प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना की शुरुआत की जाएगी।ायोजना की प्रेरणा आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता से ली गई है। इसके तहत वर्तमान में चल रही कृषि योजनाओं एवं उपायों के माध्यम से कम उत्पादकता वाले, कम बुआई और औसत से कम ऋण मानदंडों वाले सौ जिलों पर फोकस किया जाएगा।कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि गरीबी मुक्त भारत के लिए गरीबी मुक्त गांव का संकल्प है। ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास कर अन्य जिलों के लोगों के बराबर खड़ा करना है। परंपरागत कृषि पद्धतियों, फसल विविधता एवं खेती के तौर-तरीके को उन्नत कर उत्पादन बढ़ाया जाएगा।गांवों में सबसे बड़ी समस्या अन्न भंडारण की आती है। इसके लिए पंचायत स्तर पर भंडारण की व्यवस्था की जाएगी। सिंचाई की सुविधाओं में सुधार किया जाएगा और छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए ऋण की उपलब्धतता सुनिश्चित की जाएगी। सरकार का मानना है कि इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को सहायता मिलेगी। बजट में कहा गया है कि राज्यों की भागीदारी से व्यापक बहु-क्षेत्रीय ग्रामीण समृद्धि एवं अनुकूलन कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इससे किसानों एवं कृषि श्रमिकों का कौशल विकास होगा। खेती में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही नई तकनीक के प्रयोग से कृषि क्षेत्र में कम रोजगार की समस्या का समाधान होगा। सरकार दावा है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी और कृषि क्षेत्र की आय में भी वृद्धि होगी। योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर को बढ़ाना है, ताकि पलायन से रोका जा सके। कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं, छोटे किसानों, युवाओं तथा भूमिहीन परिवारों के कल्याण पर केंद्रित होगा। उद्योग-धंधे को गति मिलेगी।महिलाओं को रोजगार के जरिए वित्तीय आजादी मिलेगी। युवा कृषकों को रोजगार और व्यवसाय के मौके मिलेंगे। बैंकों से तकनीकी और वित्तीय मदद मांगी जाएगी। प्रथम चरण में सौ जिलों को शामिल किया जाएगा। बाद में योजना का विस्तार होगा। कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान को आम बजट में विकास की ललक, विश्वास की महक और विकसित भारत के निर्माण की तड़प दिख रही है। उन्होंने कहा है कि यह संपन्न, समृद्व, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण का बजट है। ग्रामीण विकास के लिए एक लाख 88 हजार 754 करोड़ 53 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं, जो अबतक का सर्वाधिक है।
चौहान ने कहा कि ग्रामीण गरीबी दूर करने के लिए आवास के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण की जरूरत है। तीन करोड़ दीदियों को लखपति बनाना है, जिसमें एक करोड़ 15 लाख से ज्यादा बन चुकी हैं। इसे आगे बढ़ाने के लिए 19 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।सरकार का लक्ष्य किसी गांव को आजीविका से वंचित नहीं रहने देना है। बजट में ग्रामीण क्रेडिट स्कोर की भी घोषणा की गई। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का क्रेडिट स्कोर घोषित होगा तो उनको आसानी से बैंकों से अधिक लोन मिल सकेगा। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के लिए लगभग 19 हजार रुपये का प्रविधान किया गया है।