मुजरा वाली टिप्पणी पर हुआ बवाल, क्या ये भाषा है एक प्रधानमंत्री की

नई दिल्ली।

 लोकसभा चुनाव अब अपने अन्तिम चरण में है। शनिवार (25 मई) को छठे चरण की वोटिंग होने के बाद सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी। इससे पहले बयानों के बाणों की बौछार हो रही है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजरा वाले बयान पर बवाल मच गया। विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की। प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “’आज मैंने प्रधानमंत्री के मुंह से ‘मुजरा’ शब्द सुना। मोदीजी, ये कैसी मनःस्थिति है? आप कुछ लेते क्यों नहीं। अमित शाह और जेपी नड्डा जी को तुरंत उनका इलाज कराना चाहिए। शायद सूरज के नीचे भाषण देने से उनके दिमाग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है।” वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने भी पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा, “नारी शक्ति’ से, आदमी अब ‘मुजरा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर उतर आया है।” उन्होंने आगे कहा, “10 साल के पीआर और सावधानीपूर्वक तैयार की गई छवि के बाद, मोदी अब अपना असली रूप नहीं छिपा सकते। इतनी घटिया भाषा। यह सोच के भी डर लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में अपनी विदेश यात्राओं के दौरान वह क्या-क्या कहते होंगे।” समाचार एजेंसी पीटीआई ने मनोज झा के हवाले से कहा, ”वह (पीएम मोदी) जो कह रहे हैं उससे चिंतित हैं। मैं अब उसके बारे में चिंतित हूं। कल तक हम उनसे असहमत थे, अब हमें उनकी चिंता हो रही है। मैंने हाल ही में कहा था कि वह भव्यता के भ्रम का शिकार हो रहे हैं। ‘मछली’, मटन, मंगलसूत्र और ‘मुजरा’… क्या यह एक पीएम की भाषा है?”
उन्होंने आगे कहा, “मैं पहले प्रधानमंत्री से असहमत होता था। अब मुझे प्रधानमंत्री की चिंता हो रही है। वे मेरे देश के प्रधानमंत्री हैं, दुनिया में क्या सोचा जा रहा होगा कि मेरे देश के प्रधानमंत्री की राजनीतिक जुबान कैसी है। कौन सी फिल्में देख देख कर ये डायलॉग लिखे जा रहे हैं? अगर कोई ये कहने लगे कि मैं दैव्य रास्ते से आया हूं, मेरा जन्म बायोलॉजिकल तरीके से नहीं हुआ है, अगर हम और आप ये बात कहें तो लोग कहेंगे कि इसे डॉक्टर के पास ले चलो।” दरअसल, बिहार में काराकाट और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्रों में बैक-टू-बैक रैलियों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “बिहार वह भूमि है जिसने सामाजिक न्याय की लड़ाई को एक नई दिशा दी है। मैं इसकी धरती पर घोषणा करना चाहता हूं कि मैं एससी, एसटी और ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित करने और उन्हें मुसलमानों की ओर मोड़ने की I.N.D.I.A ब्लॉक की योजनाओं को विफल कर दूंगा। वे गुलाम बने रह सकते हैं और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए ‘मुजरा’ कर सकते हैं।”

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.