भारत की चारों दिशाओं में हनुमान जी की सबसे ऊंची प्रतिमाएं बनवा रहा दिल्ली का ये उद्योगपति, जानें क्यों
नई दिल्ली । ओरल केयर इंडस्ट्री में 20 साल का अनुभव रखने वाले निखिल नंदा हनुमान जी के परम भक्त हैं। हनुमान जी का यह भक्त भारत की चारों दिशाओं में हनुमान जी की सबसे बड़ी और सबसे ऊंची मूर्तियां बनवा रहा है।
तमिलनाडु के रामेश्वर में 23 फरवरी को ‘हनुमानजी चार धाम प्रोजेक्ट’ के तहत बनने वाली 100 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बनने वाली 108 फुट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति की आधारशिला रखी गई। बता दें कि इससे पहले हनुमानजी चार धाम प्रोजेक्ट के तहत उत्तर में शिमला के जाखू हिल पर, और पश्चिम में गुजरात के मोरबी में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। रामेश्वरम में इस प्रोजेक्ट के तहत तीसरी मूर्ति की आधारशिला रखी गई है। बता दें कि इन मूर्तियों का निर्माण हरीश चंदर नंदा एजुकेशन ऐंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। 23 फरवरी को उद्योगपति निखिल नंदा और आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबेले और पूर्व यूपीएससी सचिव चौबे की उपस्थिति में हनुमानजी की मूर्ति की आधारशिला रखी गयी।
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत निखिल नंदा द्वारा साल 2008 में हुई थी, जिसके तहत साल 2010 में शिमला में हनुमानजी की पहली मूर्ति स्थापित की गई थी और उसे दर्शन हेतु श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया।
ओरल केयर इंडस्ट्री में 20 साल का अनुभव रखने वाले निखिल नंदा हनुमान जी के परम भक्त हैं। हनुमान जी का यह भक्त भारत की चारों दिशाओं में हनुमानजी की सबसे बड़ी और सबसे ऊंची मूर्तियां बनवा रहा है। निखिल नंदा वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं. इससे पहले उनका परिवार हरियाणा में रहता था। निखिल मानते हैं हैं आज वह जिस तेजी से तरक्की कर रहे हैं, वह सब कुछ हनुमानजी की कृपा से ही है और इसलिए वह चारों दिशाओं में हनुमानजी की मूर्तियां स्थापित करना चाहते हैं।
जेएचएस स्वेंदगार्ड लैबोरेट्रीज के सीईओ और प्रबंध निदेशक निखिल कहते हैं कि मेरी कंपनी टूथब्रश के निर्माण में देश की नंबर वन कंपनी बन गई है। जेएचएस स्वेंदगार्ड लैबोरेट्रीज टूथब्रश के निर्माण में देश की अग्रणी कंपनियों में से एक है। भगवान हनुमान का भक्त होने के नाते उनकी मूर्तियां स्थापित कर मैं उन्हें इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि उन्हें हनुमानजी की मूर्तियां बनवाने का विचार ईसा मसीह की ब्राजील के रियो डी जनेरियो में स्थित प्रतिमा को देखकर आया। उन्होंने कहा कि शिमला में स्थापित पहली मूर्ति 2 सालों में बनकर तैयार हुई थी, जिसे बनाने में 1500 टन सामान लगा। उन्होंने कहा कि साल 2024 तक तमिलनाडु के रामेश्वरम में मूर्ति स्थापित हो जाएगी।