कोरोना असर के बावजूद इस बार कैसा रहेगा अक्षय तृतीया पावन पर्व, बन रहे कई शुभ योग, लॉकडाउन में यूं घर पर पूजा करें और मालामाल हो जाएं
धर्म डेस्क। वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया का पावन पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं। इस बार अक्षय तृतीया 26, अप्रैल रविवार को मनाई जाएगी।
इस साल की अक्षय तृतीया कई मयानों में विशेष रहने वाली है। अक्षय तृतीया पर इस साल 6 राजयोग बन रहे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र के साथ अबूझ मुहूर्त पड़ रहा है जो बेहद शुभ माना जा रहा है।
इस बार अक्षय तृतीया पर्व पर सूर्योदय के समय शश, रूचक, अमला, पर्वत , शंख और नीचभंग राजयोग बन रहे हैं। इनके साथ ही महादीर्घायु और दान योग भी बन रहे हैं। ये सभी योग सूर्य, मंगल, बुध, बृहस्पति और शनि के कारण बन रहे हैं। इन योगों के प्रभाव से स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए दिन और भी खास हो जाएगा। सितारों की विशेष स्थिति में किए गए कामों का पूरा फल भी मिलता है।
इस दिन मंगल, बृहस्पति एवं शनि से महादीर्घायु और दान योग भी बनेंगे। इन शुभ योगों में किए गए दान से रोगनाश और लंबी उम्र मिलती है। इस साल भी अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनना शुभ रहेगा।
ये पर्व अबूझ मुहूर्त के रूप में भी बहुत खास है क्योंकि इस दिन किए गए शुभ काम में सफलता मिल जाती है। तिथि और नक्षत्र के शुभ संयोग के कारण ये पर्व स्नान, दान और अन्य तरह के मांगलिक कामों को करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर स्नान-दान का बड़ा महत्व होता है वहीं मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए, सोना आदि की खरीदी के लिए लोग बाहर भी जाते हैं पर इस बार ऐसा न हो पाएगा क्योंकि कोरोना के चलते लॉकडाउन चल रहा है। तो इस बार आप सोना खरीदने के बजाय किसी जरूरतमंद की मदद कर दीजिये, उसे दान दे दीजिये, सच में इसका आपको अक्षय फल मिलेगा और उस गरीब की दुआ भी।
इस साल अक्षय तृतीया पर महामारी के कारण मांगलिक आयोजन और सामूहिक कार्यक्रमों से बचते हुए घर में ही पूजा-पाठ करनी चाहिए। इसके साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों को अगले शुभ मुहूर्त तक टाल देना ही बेहतर होगा।
वहीं जब आप घर से नहीं निकल सकते तो इस पर्व पर श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लेकर दान दी जाने वाली सामग्रियों को निकालकर अलग रख लें और स्थिति सामान्य हो जाने पर उन चीजों को दान कर दें।
वहीं बृहस्पति संहिता ग्रंथ में ये उल्लेख है कि महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और आपातकाल के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए या आने वाले शुभ मुहूर्त पर टाल देना चाहिए।
बृहस्पति संहिता का श्लोक
दिग्दाहे वा महादारुपतने चाम्बुवर्षणे ।
उल्कापाते महावाते महाशनिनिपातने ।।
अनभ्राशनिपाते च भूकम्पे परिवेषयोः ।
ग्रामोत्पाते शिवाशब्दे दुर्निमित्ते नशोभने ।
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
इस साल वैशाख माह के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि शनिवार 25 अप्रैल को दोपहर करीब 12:05 पर शुरू होगी और अगले दिन रविवार को दोपहर 1:25 तक रहेगी। लेभकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग 26 अप्रैल को होने से धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाना चाहिए।