धनतेरस 2020 : धनतेरस तिथि को लेकर मतभेद, जानें किस तिथि के पक्ष में हैं अधिकतर ज्योतिषी, कब मनेगी धनतेरस
धर्म डेस्क। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। धनतेरस इस बार 13 नवंबर 2020, शुक्रवार को आ रही है। धनतेरस के दिन शुक्रवार का संयोग आना अत्यंत शुभ है, क्योंकि शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन है। इस दिन चित्रा नक्षत्र है, जिसके स्वामी मंगल है। मंगल को धन सुख और कर्ज मुक्ति करवाने वाला ग्रह माना गया है, इसलिए इस बार की धनतेरस सुख-सौभाग्य में वृर्द्धि करके अष्ट लक्ष्मी प्रदान करेगी और कर्ज मुक्ति का योग बनाएगी। इस दिन लक्ष्मी-कुबेर की पूजा विशेष फलदायी रहेगी। घर की सुख-समृद्धि, संपत्ति में वृद्धि होगी।
धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना शुभ होता है। प्राचीनकाल में लोग इस दिन कलश खरीदते थे। अब समय के साथ अन्य बर्तन खरीदे जाते हैं। इसके पीछे मान्यता है किइस दिन समुद्र मंथन के दौरान हाथों में अमृत कलश लेकर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसलिए प्रतीकात्मक रूप में कलश खरीदकर घर लाया जाता है, ताकिपरिवार में सुख-समृद्धि के साथ सभी का आरोग्य भी बना रहे। धनतेरस के दिन लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर और यम की पूजा भी की जाती है। इस बार शुक्रवार और चित्रा नक्षत्र की साक्षी में आ रही धनतेरस पर लक्ष्मी का पूजन समस्त प्रकार के सुख प्रदान करेगा और कर्ज मुक्ति होगी।
धनतेरस के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करके पोंछा लगाएं। घर के बाहर भी आंगन को झाड़ू से बुहारें। स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न रंगों और फूलों और रंगों से घर मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर रंगोली सजाएं। पूजा स्थान को भी साफ करके भी देवताओं का पूजन करें। धनतेरस की पूजा सायंकाल के समय की जाती है। सूर्यास्त के बाद पूजा स्थान में उत्तर दिशा की ओर यक्षराज कुबेर और धनवंतरि की मूर्ति या चित्र स्थापित करके उनकी पूजा करें। इससे पहले भगवान गणेश और लक्ष्मी का पूजन भी करें। कुबेर को मावे की सफेद मिठाई या खीर का नैवेद्य लगाएं तथा धनवंतरि को पीली मिठाई भोग के रूप में अर्पित करें। पूजा में पीले-सफेद फूल, पांच प्रकार के फल, चावल, रोली, चंदन, धूप व दीप का इस्तेमाल करें। इस बार इसी रात्रि में चतुर्दशी का दीपदान भी किया जाएगा। इसके लिए यम देवता के नाम पर दक्षिण दिशा में चार बत्ती वाला दीपक लगाएं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।
धनतेरस के दिन अपने प्रतिष्ठानों में व्यापारी भी पूजन करते हैं। इस दिन अपने प्रतिष्ठान, दुकान में साफ-सफाई करके नई गादी बिछाई जाती है। जिस पर बैठकर नए बही खातों का पूजन किया जाता है। दुकान में लक्ष्मी और कुबेर का पूजन भी किया जाता है। यह कार्य पंचांग में शुभ मुहूर्त देखकर सायंकाल के समय किया जाता है।
इस बार की धनतेरस के दिन चित्रा नक्षत्र है। इसका स्वामी मंगल होने के कारण कर्ज मुक्ति के लिए इस दिन मंगल यंत्र की स्थापना करना चाहिए। इसके बाद रात्रि में ऋणमोचक मंगल स्तोत्र के 51 पाठ करने से शीघ्र कर्ज मुक्ति का मार्ग खुलता है। धन का आगमन बढ़ता है।
धनतेरस पूजा का मुहूर्त
- धनतेरस पूजन मुहूर्त- सायं 05:28 बजे से सायं 05:59 बजे तक
- वृषभ लग्न- सायं 05:48 से रात 07:46 बजे तक
- लाभ चौघड़िया- रात्रि 8.57 से 10.34 बजे तक
तिथि कब से कब तक
- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 12 नवंबर को रात्रि 9.29 बजे तक
- त्रयोदशी तिथि समाप्त 13 नवंबर को सायं 5.58 बजे तक