बीते 20 वर्षों में बस्तर में एचआईवी एड्स पांच से बढ़कर पहुंचा 27 सौ तक
जगदलपुर।
बस्तर में एचआईवी एड्स तेजी से पांव पसार रहा है, जागरूकता की कमी के कारण बीते 20 वर्ष में एचआईवी पीडि़त मरीजों की संख्या 5 से बढकऱ 2700 तक पहुंच चुकी है। जानकारों की मानें तो मरीजों की तादाद और अधिक हो सकता है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि पहचान छिपाने की वजह से पीडि़त मरीजों का वास्तविक आंकड़ा बता पाना संभव नहीं है। तेजी से बढ़ रही इस बीमारी ने स्वास्थ्य विभाग के लिए एक चुनौती बन गया है बस्तर संभाग में 8 फरवरी 2003 के बाद से इस बीमारी की जांच और पहचान का काम शुरू हुआ था, जो तेजी से बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शिक्षा का अभाव और जागरूकता की कमी इस बीमारी के विस्तार का सबसे बड़ा कारण है।
बस्तर में एचआईवी एड्स पर काम कर रही संस्था के परियोजना समन्वयक गजेन्द्र सेठिया की मानें तो बस्तर के ग्रामीणों का रोजगार के लिए सीमावर्ती राज्यों में पलायन करते हैं। इनमें अधिकांश एचआईवी के सबसे बड़े वाहक हैं। इनके जरिए असुरक्षित यौन संपर्क से एचआईवी वायरस एक-दूसरे में फैल रहा है। इसके बाद दो प्रतिशत ब्लड ट्रांसफ्यूजन व गर्भस्थ शिशुओं का इस रोग से पीडि़त होना है। एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण केंद्र के काउंसलर मुकुंद दीवान ने बताया कि वर्ष 2024 में अब तक आईसीटीसी, मोबाइल वेन से तथा गर्भवती महिलाओं की लगभग 15 हजार लोगों की जांच की गई। इनमें 57 लोगों को एचआईवी पॉजीटिव पाया गया है।