भारत के समर्थन में बाइडन, कहा- सुरक्षा परिषद में मिलनी चाहिए स्थायी सीट

न्यूज़ डेस्क। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर हैं। अमेरिका दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से हुई। मोदी और बाइडन की मुलाकात के बाद भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति को लगता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सीट मिलनी चाहिए। एक संवाददाता सम्मेलन में हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की हमारी अध्यक्षता की सराहना की गई है, खासकर के अफगानिस्तान मुद्दे पर। श्रृंगला ने कहा कि हम स्वास्थ्य और जैव चिकित्सा विज्ञान पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दे रहे हैं। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि अपने आप को सूत्रधार के रूप में पेश करने वाला पाकिस्तान कई मायनों में कुछ समस्याएं खड़ी करने वाला देश रहा है जिनसे भारत अपने पड़ोस में निपट रहा है।

ज्ञात हो कि भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता हासिल करने के लिए काम कर रहा है। इन सबके बीच भारत साल 950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 के दौरान 7 बार सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य रह चुका है। 2011-12 के दौरान भी भारत सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य रहा। गौरतलब है कि यूएनएससी में 15 सदस्य होते हैं जिनमें 10 अस्थाई और पांच स्थाई सदस्य होते हैं। सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और यूनाइटेड किंग्डम हैं।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच भारत-अमेरिका द्विपक्षीय बैठक और ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान तथा अमेरिका के क्वाड शिखर सम्मेलन दोनों के दौरान अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर और सावधानीपूर्वक नजर रखने पर बात हुई। श्रृंगला ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘दोनों चर्चाओं में यह बात स्पष्ट रही कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर और सावधानीपूर्वक नजर रखी जाए। आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका पर नजर रखनी है और चाहे क्वाड हो या उसके अन्य सहयोगी उन्हें इस पर ध्यान रखना होगा।’’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘एक महत्वपूर्ण बात जिसे कई बार अनदेखा किया जाता है कि वह यह है कि अपने आप को सूत्रधार बताने वाला पाकिस्तान कई मायनों में उन समस्याओं को पैदा करने वाला है जिससे हम अपने पड़ोस में निपट रहे हैं।’’

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