कोरोना काल में भी भारत की आर्थिक वृद्धि ठोस रास्ते पर, वित्त वर्ष 2021-22 में 6.5 फीसदी रहने की संभावना : संरा

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो एक साल पहले के 8.4 प्रतिशत पूर्वानुमान से कम है।

संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावना (डब्ल्यूईएसपी) रिपोर्ट के मुताबिक भारत कोविड-19 महामारी के दौरान तीव्र टीकाकरण अभियान चलाकर वृद्धि के ठोस मार्ग पर अग्रसर है। लेकिन कोयले की किल्लत एवं तेल के ऊंचे दाम आने वाले समय में आर्थिक गतिविधियों को थाम सकती हैं।

यह रिपोर्ट कहती है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वर्ष 2021-22 में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो वर्ष 2020-21 की तुलना में गिरावट को दर्शाता है। यह रिपोर्ट भारत की वृद्धि के आने वाले वित्त वर्ष 2022-23 में और भी गिरकर 5.9 फीसदी रहने का अनुमान जताती है।

अगर कैलेंडर साल के हिसाब से देखें तो 2022 में भारत की जीडीपी के 6.7 फीसदी दर से बढ़ने का अनुमान है जबकि साल 2021 में यह नौ फीसदी बढ़ी थी। इसकी वजह यह है कि कोविड काल में हुए संकुचन का तुलनात्मक आधार प्रभाव अब खत्म हो गया है।

रिपोर्ट कहती है, टीकाकरण की तेज रफ्तार और अनुकूल राजकोषीय एवं मौद्रिक रुख के बीच भारत का आर्थिक पुनरुद्धार ठोस रास्ते पर है…।’’

हालांकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में तेल के ऊंचे दाम और कोयले की किल्लत से भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर विराम लगने की आशंका भी जताई गई है। निजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए यह काफी अहम होगा।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.