ड्रैगन की चालबाजी: कोरोना काल में नेपाल सीमा पर सड़कों का जाल बिछा रहा चीन
न्यूज़ डेस्क। भारत की तरफ से लिपूलेख तक 2020 में सड़क पहुंच जाने के बाद चीन ने भारत पर निगहबानी के लिए नेपाल से सटे क्षेत्र में भी सामरिक दृष्टि से सड़कों का जाल बिछाने का काम तेज कर दिया है। कोरोनाकाल में पूरी दुनिया जीवन बचाने की जद्दोजहद में है, वहीं सीमा से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीन, भारत से सटे नेपाल के तिंकर से करीब 22 किमी दूर तक अपनी सड़क पहुंचाने के लिए तेजी से काम कर रहा है।
भारत के तहसील मुख्यालय धारचूला से 110 किमी दूर 16640 फीट पर स्थित लिपूलेख दर्रा भारत चीन के बीच सीमा निर्धारण करता है। इसी दर्रे को पार कर चीन में प्रवेश करने का पारंपरिक रास्ता है। चीन सीमा से सटे भारत के व्यास वैली के गांव गर्ब्यांग से नेपाल का तिंकर भी लगा हुआ है। नेपाल के उच्च हिमालयी गांव से तिंकर की दूरी करीब 16 किमी है। नेपाल चीन को विश्वास में लेकर इस क्षेत्र का प्रयोग भारत पर नजर रखने के लिए करना चाहता है। सुरक्षा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इसके लिए चीन ने कोरोनाकाल का इस्तेमाल नेपाल सीमा तक सड़कों का जाल बनाने के लिए किया है। वह भारी मशीनों की मदद से नेपाल से सटे उच्च हिमालयी क्षेत्र तक सड़कों का जाल बिछा रहा है।
पिथौरागढ़। तिंकर तक सड़क सुविधा के विस्तार की नेपाल के सामने चीन पहले ही पेशकश कर चुका है। फिलहाल नेपाल ने अभी इसकी सहमति नहीं दी है। नेपाल के सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से वहां सड़क विस्तार का काम चल रहा है, उससे नेपाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र के गांवों को भी सड़क से जोड़ने की मांग तेजी से उठने लगी है।
चीन सीमा से सटे भारत के उच्च हिमालयी गांव नप्लच्यू, गुंजी, रौंगकोंग, नाबी, कुटी में 6 हजार से अधिक लोग रहते हैं। माइग्रेशन वाले इन गांवों में इन दिनों लोग ग्रीष्मकालीन अवकाश पर गए हैं।
8 मई 2020 को भारत ने किया लिपूलेख सड़क का निर्माण पूरा
चीन तब से लगातार सीमा पर भारत को घेरने के लिए करता आ रहा है कूटनीतिक प्रयास
नेपाल ने भारत के कालापानी को अपने विवादित नक्शे में शामिल कर दिया था विवाद को जन्म
अब चीन, नेपाल से सटी सीमा पर सड़क पहुंचाकर कर रहा है अपनी स्थिति मजबूत