कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद 23 लोगों की मौत, सवालों के घेरे में फाइजर का टीका, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने की इस्तेमाल पर रोक की मांग

ओस्‍लो। ब्रिटेन से निकला कोरना वायरस का नया स्ट्रेन कई देशों में कोहराम मचा रहा है। वहीं इसको रोकने के लिए वैक्सीन भी आ गया है। कई देशों में तो वैक्सीन लगना भी शुरू हो गया है। भारत में शनिवार के कोरोना वैक्सीन लगाया जाएगा। वहीं युरोपीए देशों से एक बुरी खबर सामने आ रही है। यहां फाइजर की कोरोना वैक्सीन को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपीय देश नार्वे में फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन लगवाने के बाद 23 लोगों की मौत हो गई है। इस बात की जानकारी नार्वेजियन एजेंसी फॉर मेडिसिन की ओर से दी गई है।

एजेंसी के हवाले से यूरोप न्यूज की ओर से कहा गया है कि विशेषज्ञ अभी लोगों की मौत की जांच कर रहे हैं। इनमें से 13 मृतकों की जांच हो गई है। बताया जाता है कि नार्वे में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण की शुरुआत 27 दिसंबर से हुई थी। सबसे पहले ओस्लो स्थित नर्सिंग होम के लोगों को वैक्सीन दी गई थी।

यहां आप को बता दें कि अमेरिका में फाइजर/बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है। वहीं ग्रेट ब्रिटेन में भी फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को मंजूरी दी गई है।

दूसरी ओर चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नार्वे और अन्य देशों से कहा है कि वह mRNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन को लगाना अभी बंद कर दें, जिन्हें फाइजर जैसी कंपनियां बना रही हैं। चीनी इम्यूनोलॉजिस्ट की ओर से कहा गाय है कि mRNA वैक्सीन को जल्दबाजी में बनाया गया है और इसे बीमारी से बचाव के लिए बड़े स्तर पर इस्तेमाल भी नहीं किया गया। बड़े स्तर पर लोगों को वैक्सीन लगाने पर उसकी सुरक्षा की भी पुष्टि नहीं हुई है।

विशेषज्ञों ने कहा है कि नार्वे में इतने लोगों की मौत के बाद ये साबित हो गया है कि mRNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन उतनी भी प्रभावी नहीं है, जितनी उम्मीद की जा रही थी। गुरुवार तक नार्वे में वैक्सीन से संबंधित 23 मौत दर्ज की गई हैं।

न्यूज एजेंसी ने कहा है, ‘अभी तक 13 मृतकों की जांच की गई है। इन बुजुर्गों की गंभीर होने वाली हालत का कारण वैक्सीन से होने वाला साइड इफेक्ट भी हो सकता है।’ सभी मौत नर्सिंग होम में रहने वाले कमजोर और बुजुर्ग लोगों की हुई है। कुछ की उम्र 80 साल से अधिक थी और कुछ की 90 साल से अधिक।

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