नेफ्ताली बेनेट बने इजरायल के नये प्रधानमंत्री, महाराष्ट्र मॉडल पर बनाई है सरकार!

नई दिल्ली। कभी बेंजामिन नेतन्याहू के सबसे करीबी रहे नेफ्ताली बेनेट अब इजरायल के नये प्रधानमंत्री बन गये हैं और उन्होंने 12 साल से इजरायल की सत्ता पर काबिज बेंजामिन नेतन्याहू के साम्राज्य का अंत कर दिया है। हालांकि, नेफ्ताली बेनेट इजरायल के नये प्रधानमंत्री जरूर बन गये हैं, लेकिन आप अगर गौर से देखेंगे तो उनकी सरकार का स्वरूप बहुत हद तक महाराष्ट्र के मॉडल से मिलता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि शिवसेना के नेताओं की तरह ही नेफ्ताली बेनेट राष्ट्रवादी छवि वाले नेता रहे हैं और अब उन्होंने सरकार बनाने के लिए हर विचारधारा वाली लोकतांत्रिक पार्टियों के साथ हाथ मिलाई है।

नेफ्ताली बेनेटे की सरकार को हम क्यों महाराष्ट्र मॉडल से प्रभावित कह रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार में इजरायल की आठ अलग अलग पार्टियां शामिल हैं और सबसे दिलचस्प ये है कि धूर दक्षिणपंथी नेता नेफ्ताली बेनेट ने वामपंथी पार्टी और मुस्लिम पार्टी तक से समर्थन लिया है। सबसे पहले आईये समझते हैं कि इजरायल में नई सरकार का गठन कैसे हुआ है? इजरायल की संसद में 120 सीटे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा सीटें 12 साल तक प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी की है। लिकुड पार्टी के पास संसद में 39 सीटे हैं। लेकिन वो बहुमत से काफी दूर हैं। दूसरे नंबर मध्यमार्गी पार्टी येर लेपिड की येश एडिट पार्टी है जिनके पास सिर्फ 17 सांसद हैं। ऐसे में देश में सरकार बनाने के लिए 61 सीटों की जरूरत है। देश के नये प्रधानमंत्री बने नेफ्टाली बेनेट के पास सिर्फ 7 सीटें हैं। इजराइल की इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब इस्लामिक पार्टी सत्ताधारी दल के साथ सरकार में शामिल है। रा’म पार्टी के नात मंसूर अब्बास ने सरकार बनाने में अपना समर्थन दिया है। नई सरकार बनाने के लिए जो समझौता हुआ है उसके अनुसार सितंबर 2023 तक बेनेट प्रधानमंत्री रहेंगे और उसके बाद नवंबर 2025 तक लेपिड प्रधानमंत्री बनेंगे।

इजरायल के नये प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने जो नई सरकार बनाई है, उसमें उन्होंने 27 मंत्रियों को जगह दी है। जिनमें 9 मंत्री महिला हैं। नेफ्ताली बेनेट की सरकार में हर विचारधारा वाली पार्टियां शामिल हैं। और इजरायली संसद, जिसे ‘नेसेट’ कहा जाता है, उसमें नई सरकार बनाने के लिए मतदाना कराया गया। मतदान के दौरान 60 सदस्यों ने नेफ्ताली बेनेट को प्रधानमंत्री बनाने के पक्ष में अपना मत डाला, वहीं, 59 सदस्यों ने नेफ्ताली बेनेट की सरकार बनाने का विरोध किया। यानि, नेफ्ताली बेनेट की सरकार सिर्फ एक वोट से विजयी हुई है, लिहाजा ये नहीं कहा जा सकता है कि उनकी सरकार कितनी स्थिर रहने वाली है। वहीं, नेफ्ताली बेनेट की खुद की पार्टी के पास सिर्फ 7 सीटें हैं, लिहाजा वो बतौर प्रधानमंत्री कितने सशक्त रहेंगे, ये भी नहीं कहा जा सकता है।

नेफ्ताली बेनेट की सरकार को हम महाराष्ट्र मॉडल पर आधारित क्यों कह रहे हैं? दरअसल, नेफ्ताली बेनेट ने जो सरकार बनाई है, उसमें आठ पार्टियां शामिल हैं और हर पार्टी की अपनी अपनी अलग अलग राजनीतिक विचारधारा है। ठीक वैसे ही, जैसे महाराष्ट्र में जो इस वक्त सरकार है, उसमें भी हर विचारधारा वाली पार्टियों की सरकार है। इजरायल की नई सरकार में खुद प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट घोर दक्षिणपंथी नेता हैं और मुस्लिम देशों के प्रति अपने उग्र व्यवहार के लिए जाने जाते रहे हैं। वहीं, सरकार में वामपंथी पार्टी, मध्यमार्गी यानि उदारवादी पार्टी येश अतिद और अरब समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली रा’म पार्टी भी सरकार में शामिल है। येश एतिद पार्टी के मिकी लेवी को इजरायली संसद का स्पीकर चुना गया है और उनके पक्ष में 67 सदस्यों ने मतदान किया है।

नफ्ताली बेनेट की पहचान इजरायल के एक राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी नेता के तौर पर होती है और नफ्ताली बेनेट ने खुद अपनी बदौलत इजरायल की राजनीति से लेकर इजरायली समाज में अपनी खास पहचान बनाई है। नफ्ताली बेनेट ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपना खास मुकाम बनाया है और उनकी पहचान इजरायल के रईस लोगों में होती है। नफ्ताली बेनेट की विचारधारा क्या है, इसे आप उनके दिए एक बयान से समझ सकते हैं। उन्होंने एक बार कहा था ‘सुरक्षा के लिहाज से फिलिस्तीन का निर्माण होना इजरायल के लिए आत्मघाती कदम होगा’। दक्षिणपंथी नेता के तौर पर अपनी पहचान कायम करने वाले नफ्ताली बेनेट ने अपनी विचारधारा के खिलाफ जाकर वामपंथी और इस्लामिक पार्टियों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। 49 साल के हो चुके नफ्ताली बेनेट यहूदी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता अमेरिका से आकर इजरायल में बसे थे। नफ्ताली बेनेट इजरायली प्रधानमंत्री के बेहद करीबी रहे हैं, हालांकि, 71 साल के नेतन्याहू से वो काफी कम उम्र के हैं।

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