आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में ‘अफसर बिटिया’ की हो रही देशभर में चर्चा, जिला प्रशासन की पहल को मंत्री जावड़ेकर ने सराहा

अनंतपुर। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिला प्रशासन ने अनूठी पहल करते हुए मजदूर की बेटी श्रावणी को एक दिन के लिए कलेक्टर बनाया। अब आप सोचेंगे किसान पिता और मजदूर मां की बेटी श्रावणी को आखिर एक दिन का कलेक्टर क्यों बनाया गया? दरअसल जिला प्रशासन की कोशिश है कि बेटियों में विश्वास कायम किया जाय कि वो भी कुछ कर सकती हैं। इसके लिए सरकारी स्कूलों की लड़कियों को ही चुना गया है। मीडिया के सामने हुए ड्रा में श्रावणी का नाम आया था। साथ ही उन्होंने बड़ी समझदारी से एक दिन के लिए जिलाधिकारी पद की जिम्मेदारी संभाली। श्रावणी कलेक्टर की ही तरह घर से गाड़ी में दफ्तर पहुंची। उन्होंने कर्मचारियों को दिशानिर्देश भी दिया। श्रावणी के जीवन में ये दिन बेहद खास मायने रखता है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की सराहना

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बारे में ट्वीट कर फोटो शेयर की और श्रावणी और इन जैसी बच्चियों को बधाई दी। वास्तव में अनंतपुर जिला प्रशासन की ये पहल अनूठी मानी जाती है। जिसके परिणामस्वरूप सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली बच्चियों का आत्मविश्वास और बढ़ेगा। 16 साल की बच्ची श्रावणी के लिए वो दिन बेहद खास था जब उन्हें सम्मान के साथ कलेक्टर की कुर्सी पर बैठाया गया। अब श्रावणी की इच्छा है कि वो खूब पढ़े और एक दिन अपनी मेहनत के दम पर जिलाधिकारी बने और लोगों की सेवा करे।

हरेक दिन साहब बनेंगी बेटियां

अनंतपुर जिला प्रशासन ने तय किया है कि हरेक दिन जिले में किसी न किसी सरकारी कार्यालय की प्रमुख के तौर पर किसी बच्ची को बैठाया जाएगा। हालांकि वो किसी तरह का पॉलिसी डिसिजन नहीं ले सकती हैं। इसके बावजूद उनमें कम से कम कुछ बेहतर करने की भावना जरूर विकसित होगी। जिले में करीब दर्जनभर डिपार्टमेंट्स हैं। इनमें अफसरी करने का मौका अगर बेटियों को मिलता है तो वाकई उनमें प्रेरणा का संचार होगा। एक दिन ऐसा भी आएगा जब जिले की अधिकांश बेटियां अधिकारी बनकर अपना रुतबा कायम कर सकेंगी।

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे के दिन शुरू हुई पहल

अनंतपुर में 11 अक्टूबर से बेटियों को अफसर बनाने का कार्यक्रम शुरू हुआ है जो बदस्तूर जारी है। 11 अक्टूबर को दुनियाभर में इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे के तौर पर मनाया जाता है। अनंतपुर जिले में एक दिन के लिए बेटियों को खास बनाने की पहल का बाकी के जिले भी अनुसरण करेंगे, ऐसी उम्मीद की जा रही है। एक दिन की कलेक्टर श्रावणी गरलादिन मंडल कस्तूरबा विद्यालय 12वीं में पढ़ती हैं।

अनंतपुर जिला कलेक्टर गंधम चंद्रादू ने कहा कि यह कार्यक्रम छात्राओं को अपने लक्ष्यों को चुनने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी का अनुभव करने और उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए अध्ययन करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया। बालिकाओं के लिए शुरू किए इस कार्यक्रम को जिला प्रशासन ने ‘बालिक भाविशथु’ (लड़कियां समाज का भविष्य है) नाम दिया है। गंधम चंद्रादू की पहल पर ही अनंतपुर में बेटियों पर भरोसा करने और उन्हें अफसर बनाने का कार्यक्रम शुरू हुआ है। अनंतपुर में अब राह चलती बेटियों को आंख उठाकर देखने की जुर्रत नहीं कर पाते हैं इलाके के बदमाश। उन्हें पता है कि जिले की बेटियों की ऊंची पहुंच है, अगर कुछ किया तो कार्रवाई तय है।

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