#Linewoman : बिजली के खंभे पर चढ़ सिरीशा ने दिखाया हुनर, तेलंगाना में पहली लाइन वूमेन बनकर रचा इतिहास

हैदराबाद। महिलाएं समय-समय पर साबित करती रही हैं कि वे दुनिया भर के सभी व्यवसायों में कदम रखते हुए पुरुषों से कम नहीं है। ऐसे ही तेलंगाना के सिद्दीपेट (Siddipet) जिले की एक 20 साल की युवती सिरीशा ने बिजली विभाग में ‘लाइन वूमेन’ (Linewoman) की नौकरी हासिल कर साबित कर दिखाया है कि महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं।

टीएसएसपीडीसीएल (तेलंगाना साउदर्न डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड) की ओर से आयोजित जूनियर लाइनमैन भर्ती परीक्षा को पास कर सिरीशा राज्य की पहली लाइन वूमेन (linewoman)बन गई हैं। सिरीशा सिद्दीपेट के मार्कूक मंडल में गणेशपल्ली गांव की रहने वाली है।

राज्य में लाइन वूमेन की नौकरी पाने के लिए सिरीशा को हाई कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। साल 2019 में बबुरी सिरीशा ने हाई कोर्ट में एक याचिका दी थी। महबूबाबाद जिले की मूल निवासी एक अन्य महिला वी भारती के साथ गजवेल विधानसभा क्षेत्र की लड़की बबुरी सिरीशा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जब उन्हें 2019 में पुरुष-प्रधान पद के लिए आवेदन करने से मना कर दिया गया था।

जोखिमभरा काम होने की दी थी दलील

मामले में TSSPDCL की ओर से कहा जा रहा था कि महिलाओं को लाइन वूमेन के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करना मुश्किल होगा, क्योंकि उन्हें अठारह फीट बिजली के खंभे पर चढ़ने की आवश्यकता होती है, जो महिलाओं के लिए जोखिम भरा माना जाता था।

हालांकि, आठ अन्य महिलाओं के साथ, इलेक्ट्रीशियन ट्रेड में आईटीआई पूरा करने वाली सिरीशा ने टीएसएसपीडीसीएल को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अपनी राय बदलने और उन्हें पद के लिए आवेदन करने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया था।

मिनट भर में पास किया पोल टेस्ट

पद के लिए आवेदन करने वाले आठ लोगों में से, सिरिशा और भारती ने लिखित परीक्षा पास की है। हालांकि, TSSPDCL ने एग्जाम के रिजल्ट को रोक दिया था। जिसने दोनों को फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर कर दिया। जब उच्च न्यायालय ने TSSPDCL को दोनों महिलाओं को पोल टेस्ट के लिए अनुमति देने का निर्देश दिया, तो सिरिशा एक मिनट के भीतर खंभे पर ऊपर और नीचे उतर गई।

कोर्ट ने दिया नियुक्ति देने का आदेश

भारती और सिरिशा दोनों ने एग्जाम के साथ ही पोल टेस्ट भी पास कर लिया। इसके बाद दोनों बिजली विभाग के इतिहास में पूरे राज्य में पहली दो लाइन वूमेन बन गईं हैं। दोनों महिलाओं ने 2020 में 23 दिसंबर को पोल टेस्ट को मंजूरी दे दी थी। हाई कोर्ट ने TSSPDCL को निर्देश दिया है कि वे टेस्ट क्लियर करने के एक महीने के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करें।

दो महिनों तक की पोल टेस्ट की प्रैक्टिस

मीडिया से बात करते हुए सिरीशा ने कहा कि उनके चाचा बी शकर, जो TSSPDCL के साथ एक सब-इंजीनियर हैं, ने उन्हें इलेक्ट्रिशियन ट्रेड की पढ़ाई करने के लिए गाइड किया, क्योंकि वो शादी करने से पहले एक सरकारी सेवा करना चाहती थी । चूंकि TSSPDCL में कोई महिला पद के लिए आवेदन नहीं कर रही थी, शेखर ने अपनी भतीजी को आईटीआई पूरा करने के लिए सुझाव दिया ताकि वो लाइनमैन भर्ती परीक्षा के लिए पात्रता प्राप्त कर सके।

अपनी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए, सिरीशा ने सभी तरह से सभी चुनौतियों पर काबू पाने के लिए मेहनत की है। अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और चाचा को देते हुए, सिरीशा ने कहा कि उनके माता-पिता वेंकटेश और राधिका, एक भूमिहीन मजदूर दंपति, उनके जीवन के हर कदम में हमेशा सहायक रहे।

हालांकि, सिरीशा का कहना है कि खंभे पर चढ़ना आसान काम नहीं है। उसने अपने चाचा के मार्गदर्शन में दो महीने तक खंभे पर चढ़ने का अभ्यास किया। अब, वो एक मिनट से भी कम समय में खंभे​पर चढ़ने और उतरने में सक्षम है।

सिरीशा जिसने अपने एसएससी में 7.2 GPA स्कोर किया था, अब डॉ. बीआर अम्बेडकर ओपन यूनिवर्सिटी से बीए के सेंकेंड ईयर में पढ़ाई कर रही है।

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