ट्रैक्टर रैली हिंसा : चौतरफा आलोचना से घिरे किसान नेता, दिल्ली में हंगामे से पल्ला झाड़ने की कर रहे कोशिश, बना रहे बेतुके बहाने

न्यूज़ डेस्क। गणतंत्र दिवस पर दिल्‍ली में किसानों के उग्र आंदोलन की चौतरफा आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि हिंसा को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता है। वहीं कुछ किसान नेताओं को छोड़कर ज्यादातर के सुर बदले नजर आ रहे हैं। उन्होंने खुद का और आंदोलन का बचाव करना मुश्किल हो रहा है। यही वजह है कि किसान संगठनों के नेता खुद को इस उपद्रव से अलग करने की कोशिश में लगे हैं। किसान नेता बैकफुट पर है और ट्रैक्टर रैली में बाहरी लोगों के शामिल होने की बात कर रहे हैं।

ट्रैक्टर मार्च से पहले ‘लाठी-डंडे साथ लाओ’ वाला बयान देने वाले किसान नेता राकेश टिकैत उपद्रव पर सफाई देते दिखाई दे रहे हैं। टिकैत ने माना कि उन्होंने किसानों को डंडे-झंडे के साथ दिल्ली पहुंचने को कहा था, लेकिन साथ ही जोड़ा कि मकसद हंगामा खड़ा करना नहीं था। उन्होंने उपद्रवियों का बचाव करते हुए कहा कि ट्रैक्टर चला रहे किसान अनपढ़ थे, उन्हें दिल्ली का रास्ता तक पता नहीं था।

राकेश टिकैत ट्रैक्टर चालकों को अनपढ़ कहकर सारी हरकतों पर पर्दा डालने की कोशिश करने लगे हैं। उन्होंने कहा, “अनपढ़ लोग ट्रैक्टर चला रहे थे, उन्हें दिल्ली के रास्तों का पता नहीं था। प्रशासन ने उन्हें दिल्ली की तरफ जाने को कहा। वो दिल्ली जाकर घर लौट आए। उनमें से कुछ नासमझी में रास्ता भटककर लाला किला पहुंच गए। पुलिस ने उन्हें वापस भेजा।” टिकैत की यह सफाई किसी के गले नहीं उतर रही है। उन्होंने इशारों में जिस तरह किसानों को भड़काया, वह अब पूरा देश देख रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ट्रैक्टर मार्च के शांतिपूर्ण होने के दावे कर रहे थे। जब दिल्ली में उपद्रव होने लगा और प्रदर्शनकारी नियंत्रण से बाहर होने लगे तो योगेंद्र यादव घड़ियालू आंसू बहाते नजर आए। उनके सुर बदल गए। उन्होंने कहा कि ‘अगर किसी ने भी वर्दीवाले के ऊपर वाहन चढ़ाने की कोशिश की है, यह निंदनीय है, पूरी तरह अनुशासन से बाहर है। यह घृणित है और स्वीकार नहीं है। हम बार-बार मंच से कहते रहे हैं कि ये जो वर्दी में जवान है ये तो वर्दी में खड़ा किसान है इससे हमारा कोई झगड़ा नहीं है। अगर ऐसी कोई भी हरकत हुई है तो हम इसकी पूरी तरह से निंदा करते हैं।’

किसानों की हिंसा पर योगेंद्र यादव ने कहा, ‘हम पता करेंगे कि आंदोलन में हिंसा किसने फैलाई। किसानों का बवाल शर्मिंदगी का विषय है, लाल किले के प्राचीर में किसानों का झंडा फहराना गलत है। प्रदर्शनकारी किसानों से शांति की अपील करता हूं।’ किसानों की ट्रैक्टर परेड में मंगलवार को जो कुछ हुआ, उससे वह शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं और इसकी जिम्मेदारी लेते हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शन का हिस्सा होने के नाते मैं, जो चीजें हुईं, उनसे शर्मिंदा महसूस करता हूं और इसके लिए जिम्मेदारी लेता हूं।’

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने उपद्रव से किनारा करते हुए कहा, किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी। हमें डर था कि कोई साजिश कामयाब न हो जाए मगर आखिर में साजिश कामयाब हो गई। लाल किले में बिना किसी सांठगांठ के कोई नहीं पहुंच सकता। इसके लिए किसानों को बदनाम करना ठीक नहीं है।

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