छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने वेतन में की ₹20000 की कटौती, कोरोना के दौर में 800 डॉक्टर दे सकते हैं इस्तीफा

न्यूज़ डेस्क। छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा वेतनमान घटाने के फैसले के बाद अब लगभग 800 बॉण्डेड डॉक्टर इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार द्वारा अनुबंधित संविदा चिकित्सकों (बॉण्डेड डॉक्टर) का वेतनमान 75,000 रुपए से घटाकर 55,000 रुपए कर दिया गया। इसके बाद ही राज्य के लगभग 800 बॉण्डेड डॉक्टर सरकार से नाराज हैं और उन्होंने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में काम कर रहे बॉण्डेड डॉक्टरों ने बताया कि कुछ महीनों पहले किए गए आंदोलन के कारण उनका वेतनमान संविदा चिकित्सकों के बराबर किया गया लेकिन अब सरकारी आदेश के बाद बॉण्डेड डॉक्टरों का वेतनमान 75,000 रुपए से घटाकर 55,000 रुपए कर दिया गया है। इन बॉण्डेड डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें संविदा चिकित्सक नहीं माना जा रहा है। इन डॉक्टरों ने बताया कि प्रदेश के कुल 800 ऐसे डॉक्टर हैं जो वेतनमान घटाने का आदेश वापस न लेने पर इस्तीफा दे सकते हैं।

वहीं छत्तीसगढ़ की भाजपा इकाई ने ट्वीट करके राज्य की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा है। छत्तीसगढ़ भाजपा ने ट्वीट करके कहा कि जहाँ एक ओर दूसरे राज्य में सरकारें डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने का काम कर रही हैं, वहीं प्रदेश में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार डॉक्टरों का मनोबल गिरा रही है।

अंबेडकर अस्पताल में पदस्थ डॉ. पुष्पेंद्र ने दैनिक भास्कर को बताया कि जब भी एमसीआई का निरीक्षण होता है तब बॉण्डेड डॉक्टरों को संविदा डॉक्टर बताकर मान्यता प्राप्त कर ली जाती है। कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर ने बताया कि लगातार बिना छुट्टी के ड्यूटी करने के कारण कई बार डॉक्टरों को समस्याओं का भी सामना करना पड़ा। साथ ही आंदोलन करने के बाद उन्हें सरकार की तरफ से अच्छी गुणवत्ता वाले पीपीई किट, ग्लव्स और मास्क मिल पाए।

हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब कोरोना वायरस संक्रमण के समय छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पर लापरवाही के आरोप लगे हों। हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण कार्यक्रम की रिव्यू मीटिंग में यह बताया था कि छत्तीसगढ़ और झारखंड में Covid-19 के टीके की बर्बादी की दर लगभग 30% है। झारखंड में जहाँ यह दर 37.3% है वहीं कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में यह 30.2% है। इसका मतलब यह हुआ कि छत्तीसगढ़ में तीन में से एक वैक्सीन का डोज बर्बाद हो रहा है। हालाँकि दोनों ही राज्यों की सरकारों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों को नकार दिया।

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