कोरोना से ठीक हो चुके हैं तो भी संभल कर रहें, शरीर में 100 दिनों तक ही टिकता है एंटीबॉडी
नई दिल्ली। अगर आप इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आपको एक बार कोरोना संक्रमण हो चुका है और अब आगे नहीं होगा तो यह आपकी गलतफहमी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि कोविड-19 संक्रमण से शरीर में विकसित एंटीबॉडी औसतन 100 दिनों तक ही काम करता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने इस बात की जानकारी दी है। ICMR के इस नये निष्कर्ष का आशय यह हुआ कि इन 100 दिनों के बाद कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।
आईसीएमआर (ICMR) कोरोना वायरस के केसों के दोबारा संक्रमण को लेकर अनुसंधान कर रही है। इस पर आईसीएमआर प्रमुख बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि अब तक दोबारा संक्रमण के तीन मामलों की पहचान की गई है। इनमें मुंबई में दो और अहमदाबाद में एक मामला दर्ज किया गया है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि परिषद ने औसतन 100 दिनों की कटऑफ रखने का फैसला किया है, अगर ऐसा होता है तो कुछ अध्ययनों के अनुसार, एंटीबॉडी को चार महीने का जीवन भी माना जाएगा। भार्गव ने कहा, ‘दोबारा संक्रमण एक समस्या थी, जिसे पहली बार हांगकांग के एक मामले के माध्यम से वर्णित किया गया था। इसके बाद भारत में कुछ मामलों का वर्णन किया गया है- दो मुंबई में और एक अहमदाबाद में।’
उन्होंने आगे कहा कि हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO से कुछ आंकड़े मिले हैं, जो बताता है कि इस समय दुनिया में लगभग दो दर्जन दोबारा संक्रमण के मामले हैं। हम आईसीएमआर डेटाबेस को देख रहे हैं और उन लोगों का पता लगा रहे हैं, जिनके पास कुछ डेटा हैं। दोबारा संक्रमित होने वाले लोगों से टेलीफोन पर बात कर कुछ डाटा एकत्र करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा दोबारा संक्रमण को लेकर अलग-अलग समय सीमा है। अभी तक यह कहीं भी तय नहीं हुआ है कि कोई व्यक्ति 90 दिन, 100 दिन या 110 दिन बाद दोबारा संक्रमित हो सकता है। मगर अब सरकार ने इसकी समय सीमा औसतन 100 दिन रखा है।इसके मुताबिक, 100 दिन बाद दोबारा संक्रमित होने का खतरा है।