भ्रष्टाचार के आरोपी अमानतुल्लाह को दिल्ली वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाने की कोशिशों पर हाईकोर्ट की आपत्ति, HC ने केजरीवाल सरकार को लगायी फटकार

न्यूज़ डेस्क। दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने चहेते विधायक अमानतुल्ला खान को भ्रष्टाचार के मामले में चल रही जांच के बावजूद फिर से दिल्ली वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाना चाहती है। लेकिन अमानतुल्लाह के चुनाव से पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर आपत्ति जता कर केजरीवाल सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि जब अमानतुल्लाह खान के खिलाफ अनियमितताओं के आरोपों पर स्पेशल ऑडिट चल रहा है, तो वो ये मंजूरी कैसे दे सकते हैं?

याचिकाकर्ता इकबाल खान ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर अदालत में कहा था कि वक्फ बोर्ड के सदस्यों को मीटिंग के लिए नोटिफिकेशन मिला है, जिससे पता चलता है कि इस बैठक में अमानतुल्लाह को वक्फ बोर्ड का चेयरमैन चुना जा सकता है, जबकि अभी उनके खिलाफ जांच चल रही है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब विधायक के खिलाफ आरोप की जांच चल रही है, तो उन्हें सिस्टम का हिस्सा ही क्यों होने चाहिए? अब इस मामले में नौ नवंबर को सुनवाई होगी, क्योंकि वक्फ बोर्ड की बैठक को टाल दिया गया था और अब बैठक 19 नवंबर को होनी है।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने सितंबर में ही वक्फ बोर्ड में स्पेशल ऑडिट का आदेश दिया था। आरोप है कि मार्च 2016 से लेकर मार्च 2020 तक जबतक अमानतुत्लाह वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे, तबतक वक्फ बोर्ड में कुछ अनियमितताएं हुईं। खान ने अपनी जान पहचान और रिश्तेदारी के आधार पर बोर्ड में विभिन्न पदों पर 36 कर्मचारियों को गलत तरीके से नियुक्त किया था।

वर्ष 2016 में अपने कार्यकाल के दौरान बोर्ड में नियुक्तियां किए जाने को लेकर उनके खिलाफ सीबीआई जांच लंबित है। इस साल विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) ने भी खान के खिलाफ बोर्ड के बैंक खातों पर भारी हेराफेरी करने का मामला दर्ज किया था।

खान को सर्वसम्मति से वक्फ बोर्ड का सदस्य चुना गया है लेकिन उनके चुनाव को सरकार ने अभी अधिसूचित नहीं किया है। वह इस साल शुरू में हुए विधानसभा चुनाव से पहले तक दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन थे। बोर्ड के सदस्य के तौर पर निर्वाचित होने के बाद, खान को बोर्ड का फिर से चेयरमैन बनाने की कोशिश हो रही है। अनियमितता की जांच और कोर्ट की आपत्ति के बाद उनकी राहें मुश्किल हो सकती हैं।

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