केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्रीय विस्टा परियोजना का किया बचाव, कहा कि यह वास्तव में 1,000 करोड़ रुपये वार्षिक किराए के खर्च को बचाता है।
नई दिल्ली। केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्रीय विस्टा परियोजना का बचाव करते हुए कहा कि यह वास्तव में 1,000 करोड़ रुपये वार्षिक किराए के खर्च को बचाता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा, “परियोजना पैसा बचाती है, इसे बर्बाद नहीं करती है।” मेहता ने शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली विकास प्राधिकरण और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग का प्रतिनिधित्व करते हुए शीर्ष अदालत से यह बात कही।
सरकार ने सेंट्रल विस्टा परियोजना का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर परियोजना का बचाव किया है। केंद्र ने कहा है कि लगभग 100 साल पुरानी संसद संकट के संकेत दे रही है और कई सुरक्षा मुद्दों का सामना कर रही है। इसलिए संसद के एक नए आधुनिक भवन के निर्माण की आवश्यकता है।
केंद्र ने शीर्ष अदालत में संसद भवन में जगह की कमी का भी हवाला दिया है और साथ ही कहा है कि इसके कारण हर साल कार्यालय किराए के रूप में लगभग 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। केंद्र ने जोर देकर कहा है कि 51 मंत्रालयों के लिए एक सामान्य सचिवालय के साथ, इस तरह के खचरें से बचा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने अब तक तीन बार इस परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि परियोजना समकालीन जरूरतों को पूरा करती है, और जोर देकर कहा कि धरोहर इमारतों को संरक्षित किया जाएगा, ध्वस्त नहीं किया जाएगा। मेहता ने दलील देते हुए कहा, “वर्तमान संसद भवन जैसा है वैसा ही रहेगा। समारोह केंद्रीय कक्ष (सेंट्रल हॉल) में आयोजित किए जाएंगे।”
मेहता ने कहा कि यह निर्णय लेने के लिए कि एक नई संसद की आवश्यकता है, एक अलग अध्ययन की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतिगत निर्णय यह है कि सभी केंद्रीय मंत्रालयों को एक स्थान पर रहना होगा और साथ ही मेट्रो स्टेशनों के माध्यम से लिंकेज भी होगा, जो दो और चार पहिया वाहनों के उपयोग को कम करेगा। मेहता ने कहा, “हमें विभिन्न मंत्रालयों में जाने के लिए शहर के चारों ओर चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिससे यातायात और प्रदूषण में वृद्धि होती है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि नए भवन से पैसे की बचत होगी। डीडीए ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक, संसद भवन और राष्ट्रीय अभिलेखागार जैसे ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण किया जाएगा।
शीर्ष अदालत परियोजना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इस परियोजना में भूमि उपयोग को लेकर एक अवैध बदलाव किया जा रहा है। इनमें अदालत से परियोजना को रद्द करने का आग्रह किया गया है। सेंट्रल विस्टा पर काम नवंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है, जिसे 2022 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सौंपे जाने की तैयारी है। सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तरी और दक्षिणी ब्लॉक की इमारते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण मंत्रालय और इंडिया गेट भी हैं।
केंद्र एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर का निर्माण करके पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसमें कई नए कार्यालय भवनों के अलावा प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के कार्यालय भी शामिल होंगे।