महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की 68 साल की एक महिला, साइकिल से वैष्णो देवी की यात्रा पर निकली, तय करेंगी 2200 किमी का सफर
न्यूज़ डेस्क। वैश्विक कोरोनो महामारी के कारण पिछले 5 महीने से लाॅकडाउन के बाद जम्मू कश्मीर में वैष्णो देवी मंदिर को 16 अगस्त से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। मंदिर के खुलने के बाद तीर्थयात्रियों ने वहां पहुंचना शुरू कर दिया है। इसी बीच एक ऐसी महिला तीर्थयात्री की कहानी सामने आई है, जिनकी वैष्णो देवी मंदिर में गहरी भक्ति लोगों के दिलों को छू लेती है।
यह महिला 68 वर्षीय रेखा देवभांकर हैं जो महाराष्ट्र में अपने घर से 2200 किलोमीटर का कठिन सफर तय कर वैष्णो देवी तीर्थ स्थल के लिए निकल पड़ी हैं। उन्होंने 24 जुलाई को एक साधारण साइकिल से ही अपने सफर की शुरुआत की थी। रास्ते में एक कार चालक ने साइकिल चलाती बुजुर्ग महिला से रोक कर सवाल किया तो पता चला की वह 2200 किलोमीटर का सफर तय कर वैष्णो देवी जा रही हैं।
खामगांव महाराष्ट्र से 68 वर्षीय मराठी महिला मां वैष्णोदेवी के दर्शन करने के लिए साइकिल पर निकली हैं!
2048km साइकिल चलाकर इस उम्र में..?
?चलों बुलावा आया है माता ने बुलाया है!?
मातृत्व शक्ति को नमन??
??जय माता दी ?? pic.twitter.com/hgwUXiX2LV
— N K khaitan (@khaitan48) October 20, 2020
68 वर्षीय रेखा देवभांकर एक दिन में 40 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं, वह रात में सफर नहीं करती हैं। उनके पास एक साधारण लेडी साइकिल है जिसके आगे और पीछे एक लगेज कैरियर बनाया गया है। इसमें उन्होंने अपनी जरूरत का सभी सामान रखा है।
उन्होंने अपने साथ कुछ खाने-पीने का सामान भी रखा था। उन्होंने बताया कि वे जब साइकिल चलाते थक जाती हैं, तो रास्ते में थोड़ी देर रुक कर पानी पीती हैं और आराम करती हैं। इस तरह वह एक दिन में लगभग 40 किलोमीटर का सफर तय कर रही हैं।
रतन शारदा नाम के एक कार चालक ने उस बुजुर्ग महिला से रास्ते में पूछताछ की तो पता चला की वे वैष्णो देवी जा रही हैं। कार चालक ने भी बुजुर्ग महिला की हिम्मत और भक्ति को सराहा। कुछ दिनों पहले ट्विटर पर उनका यह वीडियो वायरल हो गया जिसके बाद इसे 26,000 लाइक और 8 हजार रीट्वीट मिल चुके हैं। ट्वीटर यूजर इस बुजुर्ग महिला की हिम्मत की सराहना कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के साइकिल से सफर करने के कई वीडियो सामने आए थे। देशभर में रेल और बस सेवा के बंद होने से कई मजदूर अपनी साइकिल पर तो कई पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े थे।