महिला और पुरुष की शादी की अलग-अलग उम्र को लेकर SC में याचिका, जानें क्या है मांग

नई दिल्ली। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए शादी की उम्र एक समान करने संबंधी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह भी आग्रह किया है कि वह इस संबंध में राजस्थान और दिल्ली उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को खुद के समक्ष स्थानांतरित कर ले।

यह याचिका भारतीय जनता पार्टी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है ताकि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 की व्याख्या को लेकर लगातार बढ़ते मुकदमों की संख्या कम हो सके। इस याचिका में लैंगिक न्याय और समानता से संबंधित मसले भी उठाये गए हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि जहां पुरुषों को 21 वर्ष की आयु में विवाह करने की अनुमति है, वहीं महिलाओं की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। पुरुषों और महिलाओं के विवाह की निर्धारित आयु में यह अंतर पितृसत्तात्मक रूढ़ियों पर आधारित है, जिसका कोई वैज्ञानिक समर्थन नहीं है। वास्तव में ये महिलाओं के खिलाफ असमानता और पूरी तरह से वैश्विक रुझानों के खिलाफ है।

याचिका में विभिन्न कानूनों के तहत शादी की उम्र को निर्धारित करने वाले प्रावधानों को भी उजागर किया गया है, जो भेदभावपूर्ण हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि किसी भी वर्ग के खिलाफ भेदभावपूर्ण रूढ़िवादिता को बनाये रखने या उसे मजबूत करने वाले कोई भी प्रावधान स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुच्छेद 14, 15 और 21 का घोर उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार को विवाह की न्यूनतम आयु में इन विसंगतियों को दूर करने के लिए उचित कदम उठाने और इसे पुरुषों एवं महिलाओं की दृष्टि से लिंग तटस्थ, धर्म तटस्थ और एक समान बनाने के दिशानिदेर्श देने की मांग की है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15 एवं 21 और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की भावना के अनुरूप हो।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.