आयुष मंत्रालय ने औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया
नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पौधे बोर्ड (एनएमपीबी) ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है। अभियान के दौरान देशभर में अगले एक साल में 75,000 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय पौधों की खेती की जाएगी।
मंत्रालय द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रंखला में यह कार्यक्रम दूसरे नंबर पर है।
अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और महाराष्ट्र के पुणे से हुई।
उत्तर प्रदेश में यह अभियान उत्तर प्रदेश के आयुष राज्यमंत्री धर्म सिंह सैनी, एनएमपीबी के अनुसंधान अधिकारी सुनील दत्त और आयुष मंत्रालय के अधिकारियों की उपस्थिति में शुरू किया गया था।
औषधीय पौधों की पांच प्रजातियां, जिनमें रात में फूलने वाली चमेली (पारिजात), गोल्डन एप्पल (बेल), मागोर्सा ट्री (नीम), भारतीय जिनसेंग (अश्वगंधा) और भारतीय ब्लैकबेरी (जामुन) शामिल हैं, को 150 किसानों को मुफ्त में वितरित किया गया।
इस दौरान किसानों को अलग से 750 जामुन के पौधे नि:शुल्क वितरित किए गए।
ऐसा ही एक कार्यक्रम पुणे में आयोजित किया गया था। एनएमपीबी के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.चंद्रशेखर सनवाल ने कहा कि इससे देश में औषधीय पौधों की आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा।
इस अवसर पर कुल 7,500 औषधीय पौधों का वितरण किया गया। कार्यक्रम के तहत 75,000 पौधे बांटने का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि देश में औषधीय पौधों के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और 75,000 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय पौधों की खेती से देश में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। यह किसानों के लिए आय का एक बड़ा स्रोत भी होगा।
इससे देश दवाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। गौरतलब है कि पिछले डेढ़ साल में औषधीय पौधों का बाजार न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर बढ़ा है। यही कारण है कि अश्वगंधा अमेरिका में तीसरा सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद रहा है।”