मिजोरम के इस शहर में नहीं बजाए जाते हॉर्न, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस संस्कृति की प्रशंसा

एजल। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को मिजोरम के दौरे के दौरान, एजल में हॉर्न नहीं बजाने की संस्कृति की प्रशंसा की और अन्य शहरों से भी इसका पालन करने का आग्रह किया। मिजोरम विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि देश में साक्षरता की दर में दूसरे स्थान पर रहने वाला राज्य मिजोरम सही मायनों में उपलब्धियों की नई ऊंचाई छूने को तैयार है। उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया कि यातायात अधिक होने के बावजूद एजल के लोग हॉर्न बजाने से बचते हैं। यह आदत सराहनीय है और इसे अन्य शहरों में भी अपनाया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हमें ऐसी आदतें अपनाना चाहिए जो हमारे और प्रकृति दोनों के लिए फायदेमंद हों।” मिजोरम को प्राकृतिक संसाधनों, प्राणियों तथा पौधों की विविध प्रजातियों का गढ़ बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य की समृद्ध जैव-विविधता अनुसंधान और विकास के विस्तृत अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में स्थित मिजोरम रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण स्थान पर है और ऐसे में यहां व्यापार के विकास की अपार संभावनाएं हैं। कोविंद ने कहा, ‘‘हालांकि यह (मिजोरम) सभी ओर से जमीन से घिरा हुआ है और समुद्र तक इसकी पहुंच नहीं है। लेकिन मिजोरम में व्यापार के विकास की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि पश्चिम में बांग्लादेश और पूर्व में यह म्यांमा के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है, इसके अलावा भारत के तीन राज्यों असम, मणिपुर और त्रिपुरा की सीमाएं भी राज्य से जुड़ी हुई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार ‘हाट’ (बाजार) विकसित करने के लिए हाल ही में भारत और बांग्लादेश ने समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, इससे व्यापार और संपर्क दोनों बढ़ेगा।’’

उन्होंने इंगित किया कि फिलहाल जारी कलादान बहु मॉडल ट्रांजिट परिवहन परियोजना (केएमएमटीटीपी) पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण साबित होगी। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं आशा करता हूं कि पूर्वोत्तर राज्यों और हमारे पड़ोसी देशों के सर्वांगीण विकास के लिए ऐसी और परियोजनाओं को चिन्हित कर उनका विकास किया जाएगा।

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