मध्य प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस के पार्षद पद के दावेदारों को दिलायी जा रही है कुरान की शपथ, वीडियो वायरल, मचा बवाल

न्यूज़ डेस्क। मध्यप्रदेश की सत्ता हाथ से निकलने के बाद कांग्रेसियों में खौफ का आलम है। कांग्रेसी संभावित हार से बचने के लिए हर तरह के तिकड़म आजमा रहे हैं। इससे धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहलाने वाली कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता की धज्जियां उड़ा रही है। आज कांग्रेस इस्लामीकरण के रास्ते पर है। इंदौर में कांग्रेस के पार्षद पद के उम्मदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए मुस्लिम इलाकों में कुरान की कसम खिलाई जा रही है। बीजेपी और शहर काजी ने कांग्रेस पर मजहब के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।

इंदौर में कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल अपनी पार्टी के मेयर पद के संभावित उम्मीदवार विधायक संजय शुक्ला को लेकर मुस्लिम इलाकों में जा रहे हैं। पार्षद पद के दावेदारों को एकजुट करने के लिए कुरान की कसमें खिलवा रहे हैं। कसम ये है कि अगर उनमें से किसी एक को टिकट मिले जाय तो दूसरा उसके खिलाफ काम न करे,बल्कि कांग्रेस की मजबूती के लिए काम करे।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें इंदौर के मुस्लिम बाहुल्य चंदननगर इलाके में शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल इस क्षेत्र के पार्षद पद के पांच दावेदारों को कुरान की कसम खिलवाते दिखाई दे रहे हैं। इसमें कहा जा रहा है कि उन पांच में से जिस किसी को भी टिकट मिलेगा बाकि लोग उसकी मदद करेगें। उनके साथ मंच पर कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला भी दिखाई दे रहे हैं।

बीजेपी इसे तुष्टीकरण की राजनीति बता रही है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता जेपी मूलचंदानी का कहना है प्रदेश की जनता कांग्रेस को नकार चुकी है। जिस तरह शहर अध्यक्ष कुरान की शपथ दिला रहे हैं उसे देखकर लग रहा है अब कांग्रेस को मुस्लिम समाज के लोगों पर भी विश्वास नहीं रहा है। कांग्रेस के ज़िम्मेदार नेता कसम खिलाकर उनकी बेइज्जती कर रहे हैं। कांग्रेस हमेशा से समाज को बांटने का काम करती आई है और इस वीडियो से पार्टी का असली चेहरा उजागर हो गया है।

वीडियो वायरल होने के बाद शहर काज़ी सैय्यद इशरत अली ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कुरान की कसम खिलाना गलत है। अपनी ओर से कोई भी शपथ दिलाइए, लेकिन धर्म आधारित शपथ दिलवाना गलत है। आप ये शपथ दिलाइए कि सियासत ईमानदारी से करेंगे। मोहब्बत से रहेंगे, एक दूसरे का ख्याल रखेंगे। मजहब को सियासत से दूर रखना चाहिए। लोकतंत्र में हर आदमी के अपने अधिकार हैं। वो सियासी तौर पर जिसे चाहे उसे चुने।

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