तेलंगाना के रोहिंग्या मुसलमान प. बंगाल चुनाव के दौरान कर सकते हैं गड़बड़ी, SC में वकील का दावा
नई दिल्ली। अधिवक्ता पुनीत कौर ढांडा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कोर्ट से पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण कराने के लिए दखल का आग्रह किया। हालांकि कोर्ट ने मामले में सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस बीच वकील ने कई तथ्य पेश करते हुए कुछ सनसनीखेज दावे किये। वकील ढांडा के मुताबिक तेलंगाना के रोहिंग्या मतदाताओं ने पश्चिम बंगाल में वोटर के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। साथ ही इनका इरादा मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदुओं को वोट देने से रोकने का है।
वकील पुनीत कौर ढांडा के मुताबिक हाल के दिनों में तेलंगाना से कई रोहिंग्या मुसलमान पश्चिम बंगाल शिफ्ट हुए हैं। जिनका इरादा चुनावों के दौरान ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के पक्ष में गड़बड़ी करने का हो सकता है। याचिका में याचिका में गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार, चुनाव आयोग, राज्य के चुनाव आयोग, पुलिस महानिदेशक और सीबीआई को पक्षकार बनाया गया था। याचिका में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता ने अदालत से दखल देने का अनुरोध किया है क्योंकि पश्चिम बंगाल में बुनियादी अधिकारों, सांविधिक अधिकारों तथा मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन हो रहा है तथा इस तरह के उल्लंघनों में राज्य सरकार और पुलिस मशीनरी शामिल है।”
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले की घटना का हवाला देते हुए याचिका में ‘‘केंद्रीय गृह सचिव और पश्चिम बंगाल के डीजीपी” को निर्देश देने की मांग की गई कि वे जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करें। याचिका में आरोप लगाया गया कि बीते कुछ सालों से ‘‘राजनीतिक नेताओं खासकर भाजपा नेताओं की सुनियोजित हत्या” की घटनाएं हो रही हैं। याचिका में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राज्य में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की भी मांग की गई।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और निर्वाचन आयोग को ‘‘निष्पक्ष, सुरक्षित, स्वतंत्र एवं शांतिपूर्ण” विधानसभा चुनाव सुनिश्चित करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह करने वाली याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। पश्चिम बंगाल में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुनीत कौर ढांडा की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह कानून सम्मत अन्य उपाय आजमा सकती हैं।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी भी पीठ का हिस्सा थे। याचिका में अन्य अनुरोध भी किए गए थे जिनमें राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विरोधियों एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं की कथित हत्या की घटनाओं की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिए जाने का आग्रह भी शामिल था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता विनीत ढांडा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा समेत भाजपा नेताओं पर पश्चिम बंगाल में हुए हमले की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ऐसे हालात में राज्य में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव संभव नहीं हैं तथा यह केवल शीर्ष अदालत की निगरानी में ही संभव हो सकता है।”